श्रीराम भक्त हनुमान है त्वरित प्रसन्न होने वाले देवता

कलयुग के देवता हनुमान जी अपने भक्तों पर तुरंत कृपा करते है। वह अपरिमित हैं जो किसी के वश में नहीं, लेकिन भक्ति में बंधे वह भक्त की मदद को तुरंत प्रकट होते हैं। हनुमानजी की श्रीराम के प्रति भक्ति अनुपम व अपार है। मुसीबत के समय हनुमान जी के नाम स्मरण से ही मार्ग की समस्त बाधाएं दूर हो जाएंगी। पवनसुत ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था। असत्य और अहंकार के विरुद्ध लड़ाई में सत्य और साहस के समर्थन में खड़े होने के लिए ही उनका जन्म हुआ था। शक्ति सामर्थ्य के देवता यानी हनुमान। शक्ति के साथ युक्ति, बल के साथ बुद्धि के देवता हैं हनुमान जी।

शक्ति, भक्ति, युक्ति और बुद्धि का अनुपम आदर्श हनुमान के अतिरिक्त इस धरा पर कोई दूसरा नहीं। इसलिए हर कोई उनकी उपासना करता है। हनुमान जी की पूजा इसलिए भी की जाती है क्योंकि वह जल्द प्रसन्न होने वाले देवता में से हैं। सिर्फ रामनाम के जप मात्र से वह भक्तों के दु:ख दूर करते हैं। चूंकि शिव भी राम का स्मरण करते हैं इसलिए शिव के अवतार हनुमान को भी राम नाम बहुत प्रिय है। भगवान हनुमान अतुलित बलशाली हैं लेकिन उनके जैसा दुनिया में कोई स्वामीभक्त सेवक नहीं है। श्रीराम के प्रति उनकी भक्ति अनुपम मिसाल है।

हम उन्हें असीम शक्ति का स्वामी पाते हैं लेकिन श्रीराम मंदिर में वह प्रभु राम के चरणों में ही स्थान में ही विराजमान रहते है। राम के प्रति उनकी श्रद्धा हमें अपने जीवन में विनम्रता और अपने बल पर अहंकार न करने की सीख देने वाली है। हनुमान जी भक्तों के कष्टों का निवारण करने के लिए जाने जाते हैं। वह मार्ग की समस्त बाधा दूर करते हैं। मंगलवार के दिन हनुमान जी के भक्त 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो उनके कष्टों का हरण होता है। हनुमान बाण से सभी तरह के तांत्रिक रोगों का नाश होता है। पवनसुत श्रीराम नाम सुमिरन मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं।

रामायण में भी सीता-राम और भरत के अलावा हनुमान ही सबसे ज्यादा प्रिय देव हैं। पूरी दुनिया में हमें सीता-राम के अतिरिक्त के अलावा रामायण के किसी भी अन्य पात्र का मंदिर नहीं मिलता है लेकिन हनुमान का मंदिर हमें जरूर दिखाई देता है। अगर हम गणना करें तो हमें राम के मंदिरों से भी हनुमान के मंदिर ज्यादा दिखाई देंगे। शायद इसका एक कारण यह भी है कि स्वयं भगवान राम ने कहा था कि – हे हनुमान, जो भी तुम्हारी भक्ति करेगा वह मुझे अत्यंत ही प्रिय होगा।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की उपासना हनुमान के बिना पूर्ण नहीं होती है। हनुमान जी भक्ति, ज्ञान, योग और तंत्र आदि सभी मार्गों से उपासना करने पर प्रसन्ना हो जाते हैं। वह दुनिया के हर कोने में हमें मिल जाते हैं तो गांव-देहात की सरहद पर भी ग्राम रक्षा के उद्देश्य से उनकी पूजा होती है। संगीत से समर तक और व्यवहार से व्याकरण तक सर्वत्र हनुमान की गति है। इतना ही नहीं इन सभी क्षेत्रों में हनुमान सर्वश्रेष्ठ हैं। समर्थ रामदास ने हनुमान को संगीतज्ञान महंत कहा है। संगीत शास्त्र के “भरतमत”, “कृष्णमत”, “सोमेश्वरमत” और “हनुमतम” ऐसे चार मत माने गए हैं।

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