गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) माघ और आषाढ़ माह में मनाए जाते हैं। इस साल अषाढ़ के गुप्त नवरात्र 26 जून से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के तीसरे दिन 28 जून को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। उन्हें महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी पुकारा जाता है।
दरअसल, महिषासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए मां चंद्रघंटा का प्रकाट्य हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का रूप लिया। उन्होंने महिषासुर मर्दन कर देवताओं की रक्षा की थी। वह अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें अभयदान देती हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति, साहस, और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों के सभी भय दूर हो जाते हैं। उन्हें सुख, समृद्धि और शांति मिलती है। सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है और हर क्षेत्र में सफलता भी मिलती है।
ऐसा है मां का स्वरूप
मां चंद्रघंटा के मस्तक पर एक घंटे के आकार का चंद्रमा स्थित है। इसी वजह से उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। उनके एक हाथ में त्रिशूल, एक हाथ में गदा, एक हाथ में तलवार, एक में कमल का फूल, एक हाथ वर मुद्रा में है।
ऐसे करें पूजा
सुबह नित्य क्रिया करने के बाद स्नान आदि कर लें। फिर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें। यदि उनकी तस्वीर नहीं है, तो मां दुर्गा की तस्वीर रखें। इसके बाद मां को कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाएं, जो मां की ममता और शक्ति का प्रतीक हैं।
मां चंद्रघंटा को केसर और दूध से बनी खीर बहुत पसंद है, इसलिए भोग में इसे जरूर शामिल करें। पूजा के दौरान मां के मंत्रों का जाप करें। दुर्गा सप्तशती और मां चंद्रघंटा की आरती करें। इसके बाद अपनी मनोकामना कहें।
इन मंत्रों का कर सकते हैं जाप
“ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः””पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥””या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।”
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।