13 सितम्बर पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो चुकी हैं जो 28 सितंबर सर्व पितृ अमावस्या तक चलेगा। इन दिनों में सभी लोगों द्वारा अपने पूर्वजों अर्थात जो अब इस धरती पर जीवित नहीं रहें उनकस श्राद्ध किया जाता हैं। जिस तिथि को यंकी मृत्यु हुई उस दिन उनका श्राद्ध किया जाता हैं और अगर आपको तिथि ज्ञात नहीं हो तो अमावस्या के दिन भी श्राद्ध किया जा सकता हैं। श्राद्ध पक्ष में कई चीजों का ध्यान रखने की जरूरत होती हैं अन्यथा आपकी कुछ गलतियां पूर्वजों को नाराज कर सकती हैं जो कि घर में परेशानियों का कारण बनती हैं। तो आइये जानते हैं उन गलतियों के बारे में जिन्हें श्राद्ध में करने से बचना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन करें
इन दिनों में स्त्री और पुरुष को संयम बरतते हुए संबंध बनाने से बचना चाहिए। परिवार में शांति बनाते हुए भोग-विलास की चीजों से बचें। इन दिनों आपका पूरा ध्यान सिर्फ पूर्वजों की सेवा में होना चाहिए।
कोई नया काम ना करें
किसी भी नए काम की शुरुआत इन दिनों में शुरू नहीं मानी जाती। श्राद्ध पक्ष में शोक व्यक्त कर पितरों को याद किया जाता है। इसलिए इन दिनों में किसी भी जश्न और त्यौहार का आयोजन न करें।
जरूरतमंद को खाली हाथ ना भेजें
श्राद्ध पक्ष में अगर कोई भी आपसे खाना या पानी मांगने आए तो उसे कभी भी खाली हाथ ना लौटाएं। मान्यता है कि हमारे पितर यानी पूर्वज अन्न-जल के लिए किसी भी रूप में हमारे बीच आ सकते हैं।
जानवरों को न मारें
जानवरों की भी सेवा करनी चाहिए। किसी भी पक्षी या जानवर खासतौर पर गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौए को श्राद्ध पक्ष में नहीं मारना चाहिए। उन्हें भोजन कराएं और पानी पिलाएं।
मांसाहार और शराब का त्याग
पितृपक्ष के दौरान खान-पान बिल्कुल साधारण होना चाहिए। मांस, मछली, अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए। भोजन बिल्कुल सादा होना चाहिए यानी खाने में प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल ना करें। शराब और किसी भी नशीली चीजों से दूर रहें।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
