वेद पुराणों में कई कथाओं में कौवा पक्षी का वर्णन है: धर्म

कौवा एक ऐसा पक्षी है जो की देखने में तो कुरूप होता ही है साथ ही उसकी आवाज़ भी कानों को अप्रिय लगती है| इतनी खामियां होने के बावजूद हमारे वेद पुराणों में कई कथाओं में इस पक्षी का वर्णन है आखिर क्यों यह सवाल आपके जहन में भी ज़रूर कौंधता होगा|

शास्त्रों के अनुसार कौवे में कई विलक्षण क्षमताएं होती हैं माना जाता है की कौवा भविष्य में घटने वाली घटनाओं के बारे में पहले ही जान लेता है यानी की उसे भविष्य का पूर्वआभाष हो जाता है|

आज भी सुबह सुबह घर की छत पर या घर के आँगन में जब भी कौवा बोलता है तो माना जाता है की कोई मेहमान आने वाला है| जब हम छोटे थे तो घर के बच्चों में ख़ुशी का माहौल होता था की अगर कोई मेहमान आएगा तो मिठाइयाँ अवश्य लाएगा और हमे मिठाई तो मिलेगी ही साथ ही शैतानी करने पर उस समय माँ की मार से भी बच जायेंगे|

सभी कौवों का आँगन या छत पर बैठ कर बोलना किसी के आने का संकेत नहीं देता बल्कि ऐसा कौवा जो की पूरी तरह से काला हो यानी जिसका शरीर उपर से लेकर नीचे तक एक ही वर्ण का हो उसे अशुभ माना जाता है अगर ऐसा कोई कौवा आपके आँगन में बैठ कर बोलता है तो समझ लीजिये की आप पर कोई भारी विपदा आने वाली है|

 

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