यहाँ जानिए आखिर क्यों ब्राह्मण होते हुए भी परशुराम का था क्षत्रियों सा स्वभाव

आप सभी को बता दें कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम का जन्म हुआ था और कहा जाता है इन्हें भगवान श्री राम का ही एक स्वरूप मानते हैं. जी हाँ, ऐसे में वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में भी मनाया जाता है इस बार ये 7 मई को है. जी हाँ, वहीं दक्षिण भारत में परशुराम जयंती को विशेष महत्व बताया जाता है तो आइए जानते हैं भगवान परशुराम से जुड़ी कुछ रोचक बातें.

पहले यह कि ब्राह्मण होते हुए भी क्यों था परशुराम का क्षत्रियों सा स्वभाव – जी दरअसल एक कथा के अनुसार परशुराम की माता और विश्वामित्र की माता के पूजन के बाद प्रसाद देते समय ऋषि ने प्रसाद बदल कर दे दिया था। जिसके प्रभाव से परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय स्वभाव के थे और क्षत्रिय पुत्र होने के बाद भी विश्वामित्र ब्रह्मर्षि कहलाए थे.

कैसे पड़ा परशुराम नाम – कहा जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार, सीता स्वयंवर के समय भगवान परशुराम अपना धनुष-बाण श्री राम को समर्पित कर सन्यासी का जीवन बिताने अन्यत्र चले गए। वे अपने साथ हमेशा एक फरसा रखते थे और इसी कारण उनका नाम परशुराम पड़ा.

इस दिन इस विधि से होती है पूजा – कहा जाता है परशुराम जयंती होने के कारण इस दिन भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा सुनी जाती है और इसी के साथ इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना जाता है.

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