यह है वो स्थान जहा हुआ था शिव-पार्वती का विवाह

हिन्दू सभ्यता में रुद्रप्रयाग में स्थित ‘त्रियुगी नारायण’ एक ऐसी पवित्र जगह है, जहा के लिए माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था तब यह ‘हिमवत’ की राजधानी था. इस जगह पर आज भी हर साल देश भर से लोग संतान प्राप्ति के लिए इकट्ठा होते हैं और हर साल सितंबर महीने में बावन द्वादशी के दिन यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है. भगवान् शिव को यहाँ पर बहुत मानते है |

आज भी प्रज्वलित है विवाह मंडप की अग्नि
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए त्रियुगीनारायण मंदिर से आगे गौरी कुंड कहे जाने वाले स्थान माता पार्वती ने तपस्या की थी जिसके बाद भगवान शिव ने इसी मंदिर में मां से विवाह किया गया था. जिनकरी के अनुसार बता दें यह कहते हैं कि उस हवन कुंड में आज भी वही अग्नि जल रही है.

देशभर से आते हैं लोग…
संतान प्राप्ति के लिए इस अग्नि का आशीर्वाद लेने के लिए देश के हर हिस्से से लोग आते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान केदारनाथ की यात्रा से पहले यहां दर्शन करने से ही प्रभु प्रसन्न होते हैं. दूर दूर से यहाँ भक्तगण अपनी मनोकामनाएं पूरी करने आते है|

भगवान् भोलेनाथ का नाम जपने से दूर हो जायेंगे सारे संकट
फाल्गुन मास हुआ शुरू, मौसम गर्म होने लगता है और सर्दी की होती है विदाई

Check Also

लक्ष्मी जी की कृपा के लिए शाम के समय घर लाएं ये चीजें, पैसों की तंगी से मिलेगी राहत

संध्याकाल का समय मां लक्ष्मी के आगमन का समय माना जाता है। ऐसे में इस …