पृथ्वी में समा गए थे राजा बलि, जानें ओणम पर्व से जुड़ें रोचक कथा

केरल के सबसे बड़े त्यौहारों के रूप में ओणम शीर्ष पर मौजूद है। इस त्यौहार के समय केरल में घर-घर में दिवाली जैसा माहौल देखने को मिलता है। ओणम त्यौहार का संबंध भगवान विष्णु और राजा महाबली से हैं। आइए जानिए 10 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार की कथा के बारे में।

ओणम महापर्व की कथा 

राजा महाबली प्रह्लाद के पोते थे। बता दें कि ये हिरण्यकश्यप के पुत्र थे, हालांकि वे भगवान विष्णु के भक्त भी थे। साथ ही अपने दादा की भांति ही महाबली भी बचपन से ही विष्णु जी की पूजा किया करते थे। बढ़ती उम्र के साथ महाबली का साम्राज्य भी काफी फ़ैल गया था। कहा जाता है कि महाबली एक बहुत ही अच्छे पराक्रमी, न्यायप्रिय, दानी, अपनी जनता का हित चाहने वाले राजा थे। असुर होने के बाद भी उनका राज धरती से लेकर स्वर्ग था। कहा जाता है कि धरती पर लोग उनके राज से काफी समृद्ध और प्रसन्न थे। उन्हें उनकी प्रजा भगवान के रूप में देखती थी। हालांकि इन सबके बीच कहीं न कहीं राजा महाबली में घमंड भी उत्पन्न होने लग गया था। सभी और असुरी शक्तियां जाल बिछाने लग गई थी और इससे देवतागण भी खुश नहीं थे, देवताओं ने तब विष्णु जी से सहायता मांगी।

महाबली को सबक सिखाने हेतु भगवान विष्णु ने माता अदिति के यहां बेटे के रूप में ‘वामन’ अवतार में जन्म लिया। एक बार महाबली ने इंद्र से अपने सबसे ताकतवर शस्त्र को बचाने के हेतु, माँ नर्मदा के किनारे पर अश्वमेध यज्ञ का आयोजन कराया। इस यज्ञ को सफलता मिल जाती तो फिर पूरे ब्रह्माण्ड में असुरी शक्तियां और अधिक बुरे कर्म करती। महाबली ने कहा कि यज्ञ के दौरान उनसे जो कोई भी कुछ भी मांगेगा तो वे उसे वह दे देंगे। इस दौरान वामन का प्रवेश यज्ञशाला में होता हैं और महाबली उनका सत्कार करते हैं।

महाबली वामन से कहता हैं कि आपको क्या चाहिए ? मैं किस तरह से आपकी सेवा करूं ? इस पर वामन कहते हैं कि मुझे बस तीन पग भूमि चाहिए। इस दौरान महाबली के गुरु को यह संकेत मिल जाते हैं कि यह कोई साधारण बालक दिखाई नहीं पड़ता हैं और वे राजा बलि से ऐसा नहीं करने के लिए कहते हैं। हालांकि बलि ने वामन को तीन पग भूमि देना शुरू कर दिया। तब ही वामन बलि के समक्ष अपने विशाल रूप में प्रकट हो जाते हैं। पहले कदम में वे पूरी धरती और दूसरे में पूरा स्वर्गलोक नाप लेते हैं, अब तीसरा कदम कहां रखा जाए इसके लिए राजा बलि के पास कोई विकल्प नहीं था, तब बलि ने कहा कि आप तीसरा कदम मेरे सिर पर रख दीजिए। वामन तीसरा कदम बलि के सिर पर रखते हैं और बलि धरती में समा जाते हैं। तब भगवान विष्णु बलि से उनकी अंतिम इच्छा पूछते हैं और वे इस पर कहते हैं कि प्रति वर्ष उन्हें साल में एक बार धरती पर आने की अनुमति मिलें। अतः ओणम का त्यौहार बलि के स्वागत के रूप में मनाया जाता हैं।

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