नई दिल्ली । केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि तीन से सात साल में गंगा निर्मल दिखने लगेगी। गंगा का इकॉलॉजिकल फ्लो (न्यूनतम जल प्रवाह) तय करके इसे अविरल भी बनाया जाएगा। खास बात यह है कि केंद्र सरकार की 20 हजार करोड़ रुपये की नमामि गंगे योजना के तहत चलने वाले कार्यक्रमों में राज्यों को धन खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह पहली बार है कि गंगा की सफाई के लिए कार्यक्रम शत-प्रतिशत केंद्रीय सहायता से ही चलाए जाएंगे। इससे पहले राज्यों को 30 प्रतिशत धनराशि का योगदान देना पड़ता था।
भारती ने गुरुवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि गंगा की धारा का अविरल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र की तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट आने वाली है। इस समिति की सिफारिश के आधार पर सरकार गंगा का इकोफ्लो तय करेगी। भारती ने कहा कि गंगा की सफाई के जो कार्यक्रम बीते 29 साल में असफल रहे हैं उसकी एक मुख्य वजह यह है कि उन कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए राज्यों को धनराशि देनी पड़ती थी।
इसी से सबक लेते हुए नमामि गंगे योजना में यह प्रावधान किया गया है कि इसके तहत जो भी कार्यक्रम बनेंगे, सभी शत-प्रतिशत केंद्र के सहयोग से चलेंगे। भारती ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में नमामि गंगे के तहत जन संपर्क पर अब तक 91.75 लाख रुपये खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार गंगा के नाम पर विलासता नहीं होने देगी।