मनचाही इच्छाएं होंगी पूर्ण, आज करें श्री कृष्ण चालीसा का पाठ

आज मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। ऐसा कहा जाता है कि अगर इस खास दिन श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा भक्तिभाव के साथ की जाए तो वे मनचाही इच्छाएं पूर्ण करते हैं साथ ही जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इस दिन श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करना भी बहुत अच्छा माना जाता है।

आज मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान कृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन को लेकर लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर इस विशेष दिन पर भगवान कृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा भक्तिभाव के साथ की जाए, तो वे मनचाही इच्छाएं पूर्ण करते हैं, साथ ही जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। आज के दिन ‘श्री कृष्ण चालीसा’ का पाठ करना भी बेहद कल्याणकारी माना गया है।

॥श्री कृष्ण चालीसा॥

॥ दोहा॥

बंशी शोभित कर मधुर,

नील जलद तन श्याम ।

अरुण अधर जनु बिम्बफल,

नयन कमल अभिराम ॥

पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,

पीताम्बर शुभ साज ।

जय मनमोहन मदन छवि,

कृष्णचन्द्र महाराज ॥

॥ चौपाई ॥

”जय यदुनंदन जय जगवंदन ।

जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।

जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥

जय नटनागर, नाग नथइया |

कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया ॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।

आओ दीनन कष्ट निवारो ॥॥

वंशी मधुर अधर धरि टेरौ ।

होवे पूर्ण विनय यह मेरौ ॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो ।

आज लाज भारत की राखो ॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।

मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥

राजित राजिव नयन विशाला ।

मोर मुकुट वैजन्तीमाला ॥॥

कुंडल श्रवण, पीत पट आछे ।

कटि किंकिणी काछनी काछे ॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।

छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥

मस्तक तिलक, अलक घुँघराले ।

आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥

करि पय पान, पूतनहि तार्यो ।

अका बका कागासुर मार्यो ॥॥

मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला ।

भै शीतल लखतहिं नंदलाला ॥

सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई ।

मूसर धार वारि वर्षाई ॥

लगत लगत व्रज चहन बहायो ।

गोवर्धन नख धारि बचायो ॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।

मुख मंह चौदह भुवन दिखाई ॥॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।

कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।

चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें ॥

करि गोपिन संग रास विलासा ।

सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥

केतिक महा असुर संहार्यो ।

कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो ॥॥

मातपिता की बन्दि छुड़ाई ।

उग्रसेन कहँ राज दिलाई ॥

महि से मृतक छहों सुत लायो ।

मातु देवकी शोक मिटायो ॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।

लाये षट दश सहसकुमारी ॥

दै भीमहिं तृण चीर सहारा ।

जरासिंधु राक्षस कहँ मारा ॥॥

असुर बकासुर आदिक मार्यो ।

भक्तन के तब कष्ट निवार्यो ॥

दीन सुदामा के दुःख टार्यो ।

तंदुल तीन मूंठ मुख डार्य ॥”

14 फरवरी को मनाई जाएगी बसंत पंचमी
मौनी अमावस्या के दिन इन चीजों का करें दान

Check Also

21 मई को मनाई जाएगी नरसिंह जयंती

नरसिंह श्री हरि के चौथे अवतार हैं और उनका जन्म ऋषि कश्यप और उनकी पत्नी …