सनातन धर्म अपनी मान्यताओं के लिए जाना जाता है। यहां पूजा-पाठ, वेद, ग्रंथ आदि को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। वेदों में विवाह सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया गया है। वेदों के अनुसार, विवाद किसी भी व्यक्ति के जीवन में संपन्न होने वाले महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है। आइए जानते हैं विवाह के बारे में वेद (Vedas) क्या कहते हैं ?
पवित्र मिलन का प्रतीक है विवाह
विवाह (Vedas On Marriage) दो अनजान लोगों के बीच अनंत काल के लिए एक पवित्र मिलन है। इसके जरिए वर-वधू की सांसारिक और आध्यात्मिक विकास की दिव्य यात्रा शुरू होती है। साथ ही वे एक दूसरे का जीवन भर साथ देने का वादा करते हैं।
कर्तव्य है विवाह
वेद के अनुसार, विवाह को जीवन का मुख्य कर्तव्य माना जाता है। किसी भी व्यक्ति के लिए शादी करना, बच्चे पैदा करना और अपने परिवार की परंपराओं (Importance Of Marriage) को आगे बढ़ाकर अपने पारिवारिक दायित्वों को पूरा करना मौलिक कर्तव्यों में से एक माना जाता है। वेद वैवाहिक कर्तव्यों को पूरा करते हुए धार्मिक जीवन जीने के महत्व पर भी जोर देते हैं।
विवाह क्यों किया जाता है ?
वेदों के अनुसार, शादी सिर्फ संतान प्राप्ति के लिए नहीं होती है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास और जीवन-मृत्यु चक्र से मुक्ति दिलाती है। ऐसा माना जाता है कि विवाह के जरिए व्यक्ति इस जीवनकाल में अपने कर्तव्यों को पूर्ण रूप से पूरा कर सकता है।
पति और पत्नी के बीच का यह पवित्र बंधन शिव और शक्ति के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है, जो सृजन और पोषण के लिए मुख्य है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।