होलिका दहन में इन चीजों की आहूति देने से दूर होंगी सभी समस्याएं

हिंदू धर्म में ऐसे कई व्रत-त्योहार हैं, जो विशेष महत्व रखते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है, होली का त्योहार। फाल्गुन माह लगते ही होली का बेसब्री से इंतजार किया जाता है। रंगों के त्योहार होली का उत्साह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में देखने को मिलता है।

कैसे मनाई जाती है होलिका?

होलिका दहन का आयोजन अधिकर किसी खुले स्थान पर किया जाता है। इसके बाद लकड़ियों से चिता तैयार किया जाता है, जिसे होलिका कहते हैं। इसपर गोबर से बने होलिका और भक्त प्रहलाद की मूर्ति स्थापित की जाती है। सूर्यास्त के बाद, लोग चिता के चारों ओर इकट्ठा होते हैं।

इसके बाद होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में होलिका के पास गोबर से बनी ढाल और चार मालाएं रखी जाती हैं। इस माला मौली, फूल, गुलाल, ढाल और गोबर से बने खिलौनों से बनाई जाती है। इनमें से एक माला पितरों के नाम की, दूसरी माला हनुमान जी की, तीसरी शीतला माता और चौथी माला घर-परिवार के लिए रखी जाती है।

होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vidhi)

होलिका दहन के दौरान पूजा की थाली में रोली, माला, अक्षत, फूल, धूप, गुड़, कच्चे सूत का धागा, पंच फल और नारियल आदि रखे जाते हैं। फिर होलिका के चारों ओर 7 से लेकर 11 बार तक कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है। होलिका दहन के बाद सभी सामग्रियों की होलिका में आहुति दी जाती है।

फिर इसके बाद जल से अर्घ्य दिया जाता है। इसके पश्चात होलिका दहन के बाद पांच फल और चीनी से बने खिलौने आदि की आहुति दी जाती है। होलिका दहन के समय लोग चिता के चारों ओर गाते और नृत्य भी करते हैं। इस तरह बुराई पर अच्छाई के जीते के इस उत्सव को मनाया जाता है।

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