नवरात्र पूजा के लिए नहीं मिल रहीं छोटी बच्चियां?

साल में मुख्य रूप से दो बार नवरात्र मनाए जाते हैं जिसमे नवदुर्गा को समर्पित नौ दिनों का उत्सव मनाया जाता है। नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि विशेष महत्व रखती है। इस दौरान कन्या पूजन भी किया जाता है। हिंदू धर्म में कन्याओं को माता दुर्गा का ही स्वरूप माना जाता है इसलिए नवरात्र में कन्या पूजन का विधान है।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। वहीं चैत्र शुक्ल नवमी पर यानी नवरात्र के आखिरी दिन कन्या पूजन किया जाता है। कई लोग कन्या पूजन अष्टमी तिथि पर भी करते हैं। इस दौरान छोटी बच्चियों को घर बुलाकर उनका पूजन आदि किया जाता है। ऐसे में यदि आपको अपने आस-पास कन्याएं नहीं मिल रही हैं, या फिर आपके पास कन्याओं को अपने घर बुलाकर कन्या पूजन करने का समय नहीं है, तो इस विधि से भी आप कन्या पूजन कर सकते हैं।

मंदिर में कन्या पूजन

अगर आपके आस-पड़ोस में कोई कन्या नहीं हैं, तो ऐसी स्थिति में आप मंदिर जाकर भी दान-दक्षिणा और कन्या पूजन का सामान आदि देकर अपने कन्या पूजन को सम्पन्न कर सकते हैं। इसके साथ ही जरूरतमंद या गरीबों के बच्चों और बच्चियों को भी भोजन करवा सकते हैं और अपनी क्षमता के अनुसार दान आदि दें।

घर की स्त्रियों का पूजन

कन्या न होने पर आप अपने घर में मौजूद स्त्रियों जैसे बहन, भतीजी आदि की पूजा भी कर सकते हैं। क्योंकि हिंदू धर्म में स्त्री को देवी का स्वरूप कहा जाता है। घर की स्त्रियों का भी कन्या की तरह ही पूजा करें। उनके पैर धुलाए और उन्हें चुनरी अर्पित करें। इसके बाद दान-दक्षिणा देकर उनके पैर छुएं। सनातन मान्यताओं के अनुसार, जिस घर में औरतों का सम्मान किया जाता है, वहीं देवी मां की कृपा सदैव बनी रहती है।

कर सकते हैं ये काम

कई बार लोग अन्य कारणों या फिर स्कूल जाने की वजह से भी दूसरों के घर अपनी बच्चियों को नहीं भेज पाते। ऐसे में आप चाहें, तो कन्याओं के लिए उनके घर पर ही प्रसाद और दक्षिणा आदि पहुंचा सकते हैं।

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