प्रदोष काल में करें भगवान शिव के नामों का मंत्र जप, मिलेगा मनचाहा वर

प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। यह व्रत हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इसी प्रकार आज यानी 21 अप्रैल को रवि प्रदोष व्रत है। इस व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। शिव पुराण में निहित है कि रवि प्रदोष व्रत करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक व्याधि से मुक्ति मिलती है। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान भी प्राप्त होता है। अतः साधक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करते हैं। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो संध्याकाल में विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भगवान शिव के नामों का मंत्र जप करें।

शिवजी के 108 नाम

ऊँ बाणहस्ताय नमः
ऊँ कपालवते नमः
ऊँ अशनिने नमः
ऊँ शतघ्निने नमः
ऊँ खड्गिने नमः
ऊँ पट्टिशिने नमः
ऊँ आयुधिने नमः
ऊँ महते नमः
ऊँ स्रुवहस्ताय नमः
ऊँ सुरूपाय नमः
ऊँ तेजसे नमः
ऊँ तेजस्करनिधये नमः
ऊँ उष्णीषिणे नमः
ऊँ सुवक्त्राय नमः
ऊँ उदग्राय नमः
ऊँ विनताय नमः
ऊँ दीर्घाय नमः
ऊँ हरिकेशाय नमः
ऊँ सुतीर्थाय नमः
ऊँ कृष्णाय नमः
ऊँ श्रृगालरूपाय नमः
ऊँ सिद्धार्थाय नमः
ऊँ मुण्डाय नमः
ऊँ सर्वशुभंकराय नमः
ऊँ अजाय नमः
ऊँ बहुरूपाय नमः
ऊँ गन्धधारिणे नमः
ऊँ कपर्दिने नमः
ऊँ उर्ध्वरेतसे नमः
ऊँ उर्ध्वलिंगाय नमः
ऊँ उर्ध्वशायिने नमः
ऊँ नभस्थलाय नमः
ऊँ त्रिजटाय नमः
ऊँ चीरवाससे नमः
ऊँ रूद्राय नमः
ऊँ सेनापतये नमः
ऊँ विभवे नमः
ऊँ अहश्चराय नमः
ऊँ नक्तंचराय नमः
ऊँ तिग्ममन्यवे नमः
ऊँ सुवर्चसाय नमः
ऊँ गजघ्ने नमः
ऊँ दैत्यघ्ने नमः
ऊँ कालाय नमः
ऊँ लोकधात्रे नमः
ऊँ गुणाकराय नमः
ऊँ सिंहसार्दूलरूपाय नमः
ऊँ आर्द्रचर्माम्बराय नमः
ऊँ कालयोगिने नमः
ऊँ महानादाय नमः
ऊँ सर्वकामाय नमः
ऊँ चतुष्पथाय नमः
ऊँ निशाचराय नमः
ऊँ प्रेतचारिणे नमः
ऊँ भूतचारिणे नमः
ऊँ महेश्वराय नमः
ऊँ बहुभूताय नमः
ऊँ बहुधराय नमः
ऊँ स्वर्भानवे नमः
ऊँ अमिताय नमः
ऊँ गतये नमः
ऊँ नृत्यप्रियाय नमः
ऊँ नृत्यनर्ताय नमः
ऊँ नर्तकाय नमः
ऊँ सर्वलालसाय नमः
ऊँ घोराय नमः
ऊँ महातपसे नमः
ऊँ पाशाय नमः
ऊँ नित्याय नमः
ऊँ गिरिरूहाय नमः
ऊँ नभसे नमः
ऊँ सहस्रहस्ताय नमः
ऊँ विजयाय नमः
ऊँ व्यवसायाय नमः
ऊँ अतन्द्रियाय नमः
ऊँ अधर्षणाय नमः
ऊँ धर्षणात्मने नमः
ऊँ यज्ञघ्ने नमः
ऊँ कामनाशकाय नमः
ऊँ दक्षयागापहारिणे नमः
ऊँ सुसहाय नमः
ऊँ मध्यमाय नमः
ऊँ तेजोपहारिणे नमः
ऊँ बलघ्ने नमः
ऊँ मुदिताय नमः
ऊँ अर्थाय नमः
ऊँ अजिताय नमः
ऊँ अवराय नमः
ऊँ गम्भीरघोषाय नमः
ऊँ गम्भीराय नमः
ऊँ गंभीरबलवाहनाय नमः
ऊँ न्यग्रोधरूपाय नमः
ऊँ न्यग्रोधाय नमः
ऊँ वृक्षकर्णस्थितये नमः
ऊँ विभवे नमः
ऊँ सुतीक्ष्णदशनाय नमः
ऊँ महाकायाय नमः
ऊँ महाननाय नमः
ऊँ विश्वकसेनाय नमः
ऊँ हरये नमः
ऊँ यज्ञाय नमः
ऊँ संयुगापीडवाहनाय नमः
ऊँ तीक्ष्णतापाय नमः
ऊँ हर्यश्वाय नमः
ऊँ सहायाय नमः
ऊँ कर्मकालविदे नमः
ऊँ विष्णुप्रसादिताय नमः
ऊँ यज्ञाय नमः

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