मई महीने में कब है रवि प्रदोष व्रत?

शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा और व्रत लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी है। इस दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत रख साधक महादेव संग माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

सनातन धर्म में हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। शिव पुराण में प्रदोष व्रत की महिमा और व्रत लाभ के बारे में विस्तृत जानकारी है। इस दिन भगवान शिव के निमित्त व्रत रख साधक महादेव संग माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी महादेव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन विधि विधान से महादेव संग मां पार्वती की पूजा करें। आइए, शुभ मुहूर्त, तिथि एवं शुभ योग जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

ज्योतिषियों की मानें तो 05 मई को संध्याकाल 05 बजकर 41 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी और अगले दिन 06 मई को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः 05 मई को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल शाम 06 बजकर 59 मिनट से लेकर शाम 09 बजकर 06 मिनट तक है। अतः साधक प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इस प्रकार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रविवार 05 मई को है। रविवार के दिन पड़ने के चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा।

शुभ योग

रवि प्रदोष व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग दिन भर है। इस योग का निर्माण सुबह 05 बजकर 37 से हो रहा है, जो संध्याकाल 07 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इसके अलावा, कौलव करण का योग सुबह 07 बजकर 11 मिनट तक है और तैतिल करण का योग शाम 05 बजकर 41 मिनट तक है। इसके बाद गर करण का योग बन रहा है। इसी दिन शिववास का भी अद्भुत संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों की मानें तो इस दिन देवों के देव महादेव अपने वाहन नंदी पर शाम 05 बजकर 41 मिनट तक विराजमान रहेंगे।

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