कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख कवियों और लेखकों में सूरदास जी को एक महत्वपूण स्थान प्राप्त है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सूरदास जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन को सूरदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस बार सूरदास जयंती 12 मई 2024 को है।
हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सूरदास जयंती मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सूरदास जी का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल इस दिन को सूरदास जयंती (Surdas Jayanti 2024) के रूप में मनाया जाता है। इस बार सूरदास जयंती 12 मई 2024 को है। माना जाता है कि सूरदास जी का जन्म मथुरा के रुनकता गांव में हुआ था। उन्होंने कृष्ण लीला और वात्सल्य भाव को लेकर कई पद लिखे। इसके अलावा कई ग्रंथों की रचना भी की थी। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
- सूरदास जी का जन्म 1478 ई में रुनकता गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रामदास और माता का नाम का जमुनादास था। उनके जन्मांध को लेकर अलग-अलग मत हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वह जन्म से अंधे थे, लेकिन कुछ को मानना है कि वह जन्म से अंधे नहीं थे। उनको हिंदी साहित्य में सूर्य की उपाधि दी गई है।
- सूरदास जी ने भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान करते हुए सूर सारावली, सूरसागर, साहित्य लहरी जैसी महत्वपूर्ण रचनाएं की थी।
- मान्यता के अनुसार, सूरदास अंधे पैदा हुए थे। इसलिए उनको परिवार के लोग प्यार नहीं करते थे। महान कवि ने 6 साल की उम्र में घर छोड़कर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करने लगे।
- वल्लभाचार्य जी ने ही सूरदास को श्रीकृष्ण लीलाओं का दर्शन कराया और उन्होंने ही श्री नाथ जी के मंदिर में श्रीकृष्ण जी के लीलाओं की ज्ञान का भार सूरदास जी को दिया था। उसके बाद से वे हमेशा कृष्ण लीलाओं का गुणगान करते रहे।
- मान्यता के अनुसार, सूरदास जी के गुरु श्री वल्लभाचार्य जी थे। उन्होंने सूरदास जी श्री कृष्ण भक्ति की प्रेरणा दी थी और उनका मार्गदर्शन किया था।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।