आज मंगलवार 13 मई के दिन ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज के दिन से ही बुढ़वा मंगल की शुरुआत हो रही है। बताते चलें कि ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगल को बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल कहते हैं।
मंगल ग्रह की परेशानियों या शनि की पीड़ा से छुटकारा पाने के लिए इस दिन हनुमान जी की पूजा, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करने से फायदा मिलता है। पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर बहुत से शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए astropatri.com के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का पंचांग।
आज का पंचांग ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रातः 12:35 बजे 14 मई तक
संवत् – 2082
नक्षत्र – विशाखा नक्षत्र सुबह 09:09 बजे तक, फिर अनुराधा नक्षत्र
योग – वरियाण प्रात: 05:53 तक, फिर परिघ
करण
बलव सुबह 11:32 बजे तक, कौलव सुबह 12:35 बजे तक, 14 मई
वार – मंगलवार
ऋतु – ग्रीष्म
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 7 बजकर 04 मिनट पर
चंद्रोदय – शाम 7 बजकर 54 मिनट पर
चंद्रास्त- कोई चंद्रास्त नहीं
शुभ समय
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:51 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 03:41 से शाम 05:22 तक
गुलिक काल – दोपहर 12:18 से दोपहर 01:59 बजे तक
यमगंडा – सुबह 08:55 से सुबह 10:25 बजे तक
आज का नक्षत्र समझें
आज चंद्रदेव विशाखा नक्षत्र से अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। विशाखा नक्षत्र सुबह 09:09 बजे तक रहेगा। इसके बाद चंद्रमा अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
सामान्य विशेषताएं: इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग चतुर, बुद्धिमान, सम्मान करने वाला, उद्यमी, कुशल, साहसी होते हैं।
प्रतीक: एक बड़ा पेड़ (जिसकी शाखाएं सबको सुरक्षा देती हैं।)
पशु प्रतीक: नर बाघ
स्वामी ग्रह: बृहस्पति
स्वभाव: राक्षस (दानव)
अधिष्ठाता देवता: इंद्राग्नि (अग्नि और विजली के देवता)
अनुराधा नक्षत्र – सुबह 11:46 बजे तक, 14 मई
सामान्य विशेषताएं: इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बुद्धिमान, उत्साही, मौज-मस्ती पसंद करने वाला, ऊर्जावान, कड़ी मेहनत करने वाला, भविष्यवाणी करने में सक्षम होते हैं।
प्रतीक: कमल का फूल (कठिनाइयों के बीच खिलने की क्षमता वाला)
पशु प्रतीक: मादा हिरण
स्वामी ग्रह: शनि ग्रह
स्वभाव: देव (ईश्वर समान)
अधिष्ठाता देवता: करुणा के देव
अशुभ समय खंड की सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक दिन को कुछ विशेष समय खंडों में बांटा गया है, जिनमें से कुछ को नए अथवा महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।
राहु काल- यह समय राहु देव से संबंध रखता है। इसे भ्रम, अनिश्चितता और अप्रत्याशित परिणामों से जुड़ा माना जाता है। आमतौर पर इस काल में यात्रा, निवेश, या नए कार्य की शुरुआत न करने की हिदायत है। ध्यान, साधना और आत्मचिंतन के लिए यह समय उपयुक्त है।
यम गण्ड- यह समय यम देव से जुड़ा होता है, जो अनुशासन और नियति का प्रतीक हैं। यम गंड में भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा आरंभ करने से बचने की सलाह दी जाती है। यह काल आत्मनियंत्रण और संयम के लिए उपयुक्त माना गया है।
गुलिक काल- यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से संबंधित है। यह समय कुछ परंपराओं में निरपेक्ष या मध्यम रूप से शुभ माना गया है। कई ग्रंथों में तो इसे दीर्घकालिक कार्यों या आध्यात्मिक अभ्यास के लिए अच्छा बताया गया है।