आज का पंचांग
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि- रात 7 बजकर 59 मिनट तक
संवत – 2082
योग – ध्रुव – सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक
करण
कौलव – सुबह 8 बजे तक
तैतिल – रात 7 बजकर 59 मिनट तक
वार – रविवार
ऋतु – ग्रीष्म
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 15 मिनट पर
चंद्रोदय – सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर
चंद्रास्त- 2 जून सुबह 12 बजकर 8 मिनट पर
शुभ समय
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल – शाम 5 बजकर 31 मिनट से शाम 7 बजकर 15 मिनट तक
गुलिक काल – दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से शाम 5 बजकर 31 मिनट तक
यमगंडा – दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से दोपहर 2 बजकर 3 मिनट तक
दिन के विशेष अशुभ समय खंड: एक सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर दिन में कुछ विशेष समय खंड जैसे राहुकाल, यमगंड और भद्राकाल को अशुभ माना जाता है, जिनमें कोई नया या महत्वपूर्ण कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
राहुकाल –
यह काल राहु देव से जुड़ा हुआ माना जाता है, जो वैदिक ज्योतिष में भ्रम, अनिश्चितता और अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारक माने जाते हैं। इसी कारण राहुकाल को शुभ कार्यों के लिए प्रतिकूल माना गया है। इस दौरान नए कार्य की शुरुआत, यात्रा, निवेश या कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह समय मानसिक अस्थिरता या विफलता का कारण बन सकता है।
हालांकि, यही समय आत्मचिंतन, ध्यान, मंत्र जप एवं आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत अनुकूल माना गया है। इन क्रियाओं के माध्यम से व्यक्ति आंतरिक संतुलन प्राप्त कर सकता है और राहु की अनुकूलता भी अर्जित कर सकता है। अतः राहुकाल को पूर्णतः नकारात्मक न मानते हुए इसे आध्यात्मिक उन्नति का अवसर समझना चाहिए।
यम गण्ड –
यह काल यम देव से संबंधित होता है, जिन्हें मृत्यु और भाग्य के अधिपति के रूप में जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में यमगंड काल को अशुभ समय माना गया है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत, नई यात्रा या महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस समय शुरू किए गए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं या अनचाहे परिणाम मिल सकते हैं।
लेकिन फिर भी, यमगंड काल को पूरी तरह नकारात्मक नहीं है। यह समय आत्मनियंत्रण, धैर्य और संयम की साधना के लिए उपयुक्त होता है। ध्यान, प्रार्थना और आत्मचिंतन जैसे कार्यों के माध्यम से व्यक्ति अपनी मानसिक दृढ़ता को बढ़ा सकता है और जीवन की गहराइयों को समझने में समर्थ हो सकता है।
गुलिक काल –
यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से जुड़ा होता है और ज्योतिष में इसे सामान्यतः संतुलित या मध्यम रूप से शुभ माना जाता है। कुछ परंपराओं में गुलिक काल को पूरी तरह अशुभ नहीं माना गया है, बल्कि इसे स्थायी और दीर्घकालिक कार्यों के लिए उपयुक्त समय माना गया है।
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, इस काल में बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत, योजनाओं का निर्माण, या ऐसे कार्य जिनमें स्थायित्व की यदि आवश्यकता हो तो उनके लिए यह समय लाभकारी हो सकता है। साथ ही, साधना, ध्यान और नियमित कार्यों के लिए भी गुलिक काल को अनुकूल माना गया है। यह काल बाधाओं को न्यून करता है और दीर्घकालीन सफलता के द्वार खोल सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान –
ये समय खंड किसी भय या अशुभता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि एक ऊर्जात्मक सावधानी (जब ऊर्जा थोड़ी अनियमित या अशांत हो सकती है) का संकेत देते हैं। यदि आप कोई विशेष या शुभ कार्य आरंभ करना चाहें, तो इन समयों को टालना बेहतर हो सकता है, लेकिन ये किसी भी रूप में बाधक नहीं हैं। सर्व समर्थ ईश्वर का नाम सभी कालों से सर्वोपरि है।
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे..
अश्लेषा नक्षत्र – रात्रि 09 बजकर 36 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं – गुप्त स्वभाव, चतुर और चालाक प्रवृत्ति, रणनीतिक सोच,आकर्षक, तेज बुद्धि,नेतृत्व की क्षमता, सत्ता और नियंत्रण की लालसा
नक्षत्र स्वामी – बुध
राशि स्वामी – चंद्रमा
देवता – नाग
प्रतीक – सर्प