भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा और असुरों के राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार धारण किया था, जो अर्ध सिंह (शेर) और अर्ध नर (मनुष्य) के रूप में था। भगवान विष्णु का यह स्वरूप काफी उग्र माना जाता है। आज हम आपको भगवान नरसिंह को समर्पित कुछ अद्भुत मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
इंसानों जैसी है मूर्ति की त्वचा
तेलंगाना के मल्लूर में प्राचीन नरसिम्हा मंदिर में नरसिंह देव की मूर्ति 10 फीट ऊंची स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की प्रतिमा को जीवित माना जाता है। इसके साथ ही प्रतिमा इतनी दिव्य लगती हैं कि नरसिंह देव की उनकी त्वचा जीवित इंसानों जैसी ही प्रतीत होती है।
ऐसा भी कहा जाता है कि इस मूर्ति की त्वचा इतनी मुलायम है कि अगर मूर्ति पर नाखून लगाया जाए, तो इससे खून निकलने लगता है। इसलिए यहां के पुजारी भगवान नरसिंह की मूर्ति पर चंदन का लेप लगाते हैं।
साल में एक बार होते हैं दर्शन
विशाखापट्टनम से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर सिंहाचल पर्वत पर सिंहाचलम मंदिर स्थापित है। भगवान नरसिंह को समर्पित इस मंदिर को लेकर भी कई मान्यताएं प्रचलित हैं। इस मंदिर में नरसिंह भगवान मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं।
इस मंदिर में भगवान नरसिंह की मूर्ति पर मोटे चंदन की परत लगाई जाती है, जिसे लेकर यह मान्यता है कि इससे उनका उग्र स्वरूप शांत बना रहता है। यह परत साल में केवल एक बार यानी अक्षय तृतीया के दिन हटाई जाती है। इसी दिन पर भक्त मूर्ति का दर्शन कर पाते हैं।
दर्शन से दूर होते हैं सभी संकट
नरसिंह भगवान को समर्पित एक मंदिर उत्तराखंड जोशीमठ में स्थित है, जिसे नृसिंह बदरी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर बद्रीनाथ धाम के रास्ते में स्थित है, जिसके दर्शन किए बिना बदरीनाथ धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
इस मंदिर का इतिहास करीब 1 हजार साल से ज्यादा पुराना माना जाता है। भक्तों की इस मंदिर पर अटूट आस्था है। ऐसा मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं और भगवान नृसिंह की कृपा से हर मनोकामना पूरी होती है।