वैदिक पंचांग के अनुसार, 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेदव्यास जी का का जन्म हुआ था। इसके लिए इस शुभ तिथि पर गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।
ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ पूर्णिमा तिथि पर इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसेगी। आइए, आषाढ़ पूर्णिमा पर बनने
आषाढ़ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 10 जुलाई को देर रात 01 बजकर 36 मिनट पर आषाढ़ पूर्णिमा की शुरुआत होगी। वहीं, 11 जुलाई को देर रात 02 बजकर 06 मिनट पर आषाढ़ पूर्णिमा का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। अतः 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी। आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रोदय समय शाम 07 बजकर 20 मिनट पर है।
ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ पूर्णिमा पर इंद्र योग का संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इंद्र योग का संयोग रात 09 बजकर 38 मिनट तक है।
भद्रावास योग
आषाढ़ पूर्णिमा पर भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग दोपहर 01 बजकर 55 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा पाताल में रहेंगी। इन योग में गंगा स्नान कर भगवान विष्णु और वेदव्यास जी की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।
नक्षत्र एवं चरण
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख पूर्णिमा पर पूर्वाषाढ़ा योग का भी संयोग है। पूर्वाषाढ़ा योग पूर्ण रात्रि तक है। इसके साथ ही बव करण के भी संयोग है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 31 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 22 मिनट पर
चन्द्रोदय- शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
चन्द्रास्त- नहीं
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 50 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।