आधिकारिक तौर पर आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत की चढ़ाई नहीं कर पाया है। कई लोगों ने कैलाश पर चढ़ाई की कोशिश की है लेकिन कोई सफल नहीं हो सका। वहीं तिब्बती बौद्ध किंवदंतियों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मिलारेपा ऐसे पहले व्यक्ति रहे हैं जो यह कार्य कर सके हैं। चलिए जानते हैं इनके बारे में।
कैलाश पर्वत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत की चढ़ाई करना बहुत ही कठिन है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने कैलाश पर्वत की चढ़ाई करने में सफलता पाई है।
कौन हैं मिलारेपा
तिब्बती बौद्ध मान्यताओं के अनुसार, मिलारेपा एक बौद्ध भिक्षु थे, जिन्होंने 11वीं शताब्दी में कैलाश पर्वत की चढ़ाई की थी। मिलारेपा ने अपने जीवनकाल में पश्चिमी तिब्बत स्थित कैलाश पर्वत की यात्रा की थी और चढ़ाई के बाद वह वापस लौट आए। मिलारेपा की कैलाश पर्वत की तीर्थ यात्रा का वर्णन उनकी जीवनी “मिलारेपा का जीवन” (द लाइफ ऑफ मिलारेपा) में मिलता है।
साथ ही इसमें कैलाश पर्वत पर बिताए गए समय के दौरान प्राप्त गहन आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि को भी उजागर किया गया है। उनकी जीवनी के अनुसार, उन्होंने कई वर्ष कैलाश पर्वत पर एक गुफा में रहते हुए एकांतवास में बिताए।
जानिए मिलारेपा की कहानी
मिलारेपा ने प्रतिशोध लेने के लिए अपने जादू की मदद से 35 लोगों को मार डाला था। इसके साथ ही उन्होंने अपनी माता के कहने पर, ओलावृष्टि करके अपने पड़ोसियों की स्थानीय फसल को नष्ट कर दिया। लेकिन इसके बाद उन्हें पछतावा हुआ और वह एक गुरु की तलाश में निकल पड़े। हालांकि उनका यह सफर आसान नहीं रहा, क्योंकि मिलारेपा को जो पहले गुरु मिले, उन्होंने मिलारेपा को उपयुक्त नहीं समझा।
इसके बाद उन्होंने मिलारेपा को मारपा की तलाश में भेजा, जो उनके मार्गदर्शक साबित हुए। हालांकि मिलारेपा को कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ा, तब जाकर मारपा ने उन्हें वह शिक्षाएं प्रदान की, जिनकी मिलारेपा ने कामना की थी।
क्यों मुश्किल है कैलाश की चढ़ाई
माना जाता है कि जो भी कैलाश पर्वत पर किसने चढ़ने की कोशिश करता है, उसे बहुत ज्यादा मानसिक भ्रम और थकावट महसूस होती है। वहीं कुछ पर्वतारोहियों का यह भी कहना है कि कैलाश पर लोगों के नाखून और बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं।
जिसका अर्थ है कि यहां समय बहुत जल्दी बीतता है। कैलाश में चुंबकीय क्षेत्र बहुत ज्यादा है, जिसके कारण यहां पर आधुनिक तकनीक और कंपास काम नहीं करता।
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