वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 05 अगस्त को पुत्रदा एकादशी है। यह पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाएगी। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से निसंतान दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति आती है। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों करते हैं। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा के समय तुलसी माता के नामों का मंत्र जप अवश्य करें।
तुलसी माता के नाम
ॐ श्री तुलस्यै नमः
ॐ नन्दिन्यै नमः
ॐ देव्यै नमः
ॐ शिखिन्यै नमः
ॐ धारिण्यै नमः
ॐ धात्र्यै नमः
ॐ सावित्र्यै नमः
ॐ सत्यसन्धायै नमः
ॐ कालहारिण्यै नमः
ॐ गौर्यै नमः
ॐ देवगीतायै नमः
ॐ द्रवीयस्यै नमः
ॐ पद्मिन्यै नमः
ॐ सीतायै नमः
ॐ रुक्मिण्यै नमः
ॐ प्रियभूषणायै नमः
ॐ श्रेयस्यै नमः
ॐ श्रीमत्यै नमः
ॐ मान्यायै नमः
ॐ गौर्यै नमः
ॐ गौतमार्चितायै नमः
ॐ त्रेतायै नमः
ॐ त्रिपथगायै नमः
ॐ त्रिपादायै नमः
ॐ त्रैमूर्त्यै नमः
ॐ जगत्रयायै नमः
ॐ त्रासिन्यै नमः
ॐ गात्रायै नमः
ॐ गात्रियायै नमः
ॐ गर्भवारिण्यै नमः
ॐ शोभनायै नमः
ॐ समायै नमः
ॐ द्विरदायै नमः
ॐ आराद्यै नमः
ॐ यज्ञविद्यायै नमः
ॐ महाविद्यायै नमः
ॐ गुह्यविद्यायै नमः
ॐ कामाक्ष्यै नमः
ॐ कुलायै नमः
ॐ श्रीयै नमः
ॐ भूम्यै नमः
ॐ भवित्र्यै नमः
ॐ सावित्र्यै नमः
ॐ सरवेदविदाम्वरायै नमः
ॐ शंखिन्यै नमः
ॐ चक्रिण्यै नमः
ॐ चारिण्यै नमः
ॐ चपलेक्षणायै नमः
ॐ पीताम्बरायै नमः
ॐ प्रोत सोमायै नमः
ॐ सौरसायै नमः
ॐ अक्षिण्यै नमः
ॐ अम्बायै नमः
ॐ सरस्वत्यै नमः
ॐ सम्श्रयायै नमः
ॐ सर्व देवत्यै नमः
ॐ विश्वाश्रयायै नमः
ॐ सुगन्धिन्यै नमः
ॐ सुवासनायै नमः
ॐ वरदायै नमः
ॐ सुश्रोण्यै नमः
ॐ चन्द्रभागायै नमः
ॐ यमुनाप्रियायै नमः
ॐ कावेर्यै नमः
ॐ मणिकर्णिकायै नमः
ॐ अर्चिन्यै नमः
ॐ स्थायिन्यै नमः
ॐ दानप्रदायै नमः
ॐ धनवत्यै नमः
ॐ सोच्यमानसायै नमः
ॐ शुचिन्यै नमः
ॐ श्रेयस्यै नमः
ॐ प्रीतिचिन्तेक्षण्यै नमः
ॐ विभूत्यै नमः
ॐ आकृत्यै नमः
ॐ आविर्भूत्यै नमः
ॐ प्रभाविन्यै नमः
ॐ गन्धिन्यै नमः
ॐ स्वर्गिन्यै नमः
ॐ गदायै नमः
ॐ वेद्यायै नमः
ॐ प्रभायै नमः
ॐ सारस्यै नमः
ॐ सरसिवासायै नमः
ॐ सरस्वत्यै नमः
ॐ शरावत्यै नमः
ॐ रसिन्यै नमः
ॐ काळिन्यै नमः
ॐ श्रेयोवत्यै नमः
ॐ यामायै नमः
ॐ ब्रह्मप्रियायै नमः
ॐ श्यामसुन्दरायै नमः
ॐ रत्नरूपिण्यै नमः
ॐ शमनिधिन्यै नमः
ॐ शतानन्दायै नमः
ॐ शतद्युतये नमः
ॐ शितिकण्ठायै नमः
ॐ प्रयायै नमः
ॐ धात्र्यै नमः
ॐ श्री वृन्दावन्यै नमः
ॐ कृष्णायै नमः
ॐ भक्तवत्सलायै नमः
ॐ गोपिकाक्रीडायै नमः
ॐ हरायै नमः
ॐ अमृतरूपिण्यै नमः
ॐ भूम्यै नमः
ॐ श्री कृष्णकान्तायै नमः
ॐ श्री तुलस्यै नमः
तुलसी आरती
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता…
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता…
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता…
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता…
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता…
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता…
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता…