सावन का पावन महीना चल रहा है जो सावन पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन तक रहने वाला है जो 9 अगस्त को मनाया जाएगा। सावन का पूरा माह भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है। सावन को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ अवसर बताया गया है। चलिए जानते हैं भगवान शिव से संबंधित इस माह की कुछ और खासियत।
महीना भगवान शिव की सनातन धर्म में सावन का हैं। हरिद्वार में सावन के दौरान की गई पूजा, रुद्राभिषेक और गंगाजल अर्पण सहस्त्र गुणा फलदाई माने आराधना का पवित्र समय माना गया है। इस माह को भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर बताया गया है। सावन श्रद्धा और शिवत्व का संगम है।
होती है मोक्ष की प्राप्ति
हरिद्वार, जो स्वयं गंगाजल से पावन है, सावन में शिवभक्ति का केंद्र है। यहां श्रद्धा, आस्था और अध्यात्म का संगम होता है। मान्यता है कि सावन में स्वयं भोलेनाथ धर्मनगरी हरिद्वार में निवास करते हैं। यहीं नीलेश्वर महादेव मंदिर है, जहां से दक्षेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव की बारात गई थी। पुराणों में वर्णन है कि हरिद्वार में गंगा स्नान, उपवास और शिव पूजा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शिव ही मोक्ष का द्वार हैं
सावन में जो भक्त श्रद्धा से शिव की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती गए हैं। सावन और धर्मनगरी, ये दोनों मिलकर भक्त को शिव के निकट ले जाते हैं। भक्त को शिवत्व की निकटता और दिव्यता का अनुभव कराते हैं। शिव का स्वरूप और उनका परिवार मानव को संकीर्ण वैचारिक परिधि से निकालकर वसुधैव कुटुम्बकम की परिकल्पना को समझाता है।
शिव सनातन हैं। उनके बिना विश्व कल्याण की कामना नहीं की जा सकती। वे ही सृष्टि के मूल कारण हैं। ब्रह्मा को रचयिता, विष्णु को पालनकर्ता और शिव को संहारक कहा गया है, लेकिन स्कंद पुराण में वर्णन है कि ये तीनों ही माहेश्वर अंश से उत्पन्न हुए हैं। अर्थात शिव ही मूल तत्व हैं। शिव ही मोक्ष का द्वार हैं।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।