आज है सावन की त्रयोदशी तिथि, बन रहे कई योग, पढ़ें पंचांग

आज यानी 07 अगस्त को त्रयोदशी तिथि है। गुरुवार के दिन के कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि इन योग में सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से साधक को दोगुना फल मिलता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

पंचांग से जानें आज के शुभ-अशुभ योग
आज यानी 07 जुलाई को सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। यह तिथि दोपहर 02 बजकर 07 मिनट तक है। इसके बाद फिर चतुर्दशी तिथि शुरू होगी। त्रयोदशी तिथि पर गुरुवार पड़ रहा है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रीहरि की उपासना करने से सभी मुरादें पूरी होती हैं और प्रभु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए जानते हैं आज के शुभ-अशुभ योग के बारे में।

तिथि: शुक्ल त्रयोदशी

मास पूर्णिमांत: सावन (श्रावण)

दिन: गुरुवार

संवत्: 2082

तिथि: त्रयोदशी दोपहर 02 बजकर 27 मिनट तक

योग: विष्कुंभ प्रातः 06 बजकर 43 मिनट तक

योग: 8 अगस्त को प्रीति प्रातः 05 बजकर 39 मिनट तक

करण: तैतिल दोपहर 02 बजकर 27 मिनट तक

करण: 8 अगस्त को गरज रात्रि 02 बजकर 24 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 46 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 07 मिनट पर

चंद्रमा का उदय: शाम 05 बजकर 11 मिनट पर

चन्द्रास्त: 8 अगस्त को सुबह 04 बजकर 24 मिनट पर

सूर्य राशि: कर्क

चंद्र राशि: धनु

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक

अमृत काल: प्रातः 09 बजकर 01 मिनट से प्रातः 10 बजकर 41 मिनट तक

अशुभ समय अवधि
राहुकाल: दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से दोपहर 03 बजकर 47 मिनट तक

गुलिक काल: प्रातः 09 बजकर 06 मिनट से प्रातः 10 बजकर 46 मिनट तक

यमगण्ड: प्रातः 05 बजकर 46 मिनट से प्रातः 07 बजकर 26 मिनट तक

आज का नक्षत्र
चंद्रदेव आज भी पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में रहेंगे…

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र: दोपहर 02 बजकर 01 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: लोकप्रिय, धार्मिक, आध्यात्मिक, साहसी, हंसमुख, बुद्धिमान, सलाहकार, दयालु, उदार, वफादार मित्र, खतरनाक शत्रु, लंबा कद, यात्रा प्रिय और विलासिता

नक्षत्र स्वामी: शुक्र

राशि स्वामी: बृहस्पति

देवता: अपस (ब्रह्मांडीय महासागर)

प्रतीक: हाथी का दांत और पंखा

पूजा में करें भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जप
1. ॐ नमोः नारायणाय॥

2. विष्णु भगवते वासुदेवाय मन्त्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

कजरी तीज की पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें
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