हल षष्ठी व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप

हल षष्ठी जिसे बलराम जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस साल यह आज यानी 14 अगस्त 2025 को मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान बलराम के जन्मदिन का प्रतीक है जो भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे। इस दिन भगवान कृष्ण की भी विशेष पूजा की जाती है।

हल षष्ठी को बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस पर्व का सनातन धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। बलराम जी भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई थे। यह दिन भगवान बलराम के जन्मदिन का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह 14 अगस्त 2025 यानी आज के दिन बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है।

कहते हैं कि इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा जरूर करनी चाहिए। ऐसे में उन्हें पीले फूलों की माला, पीली मिठाई अर्पित करें। फिर कान्हा के 108 नामों का जाप करके आरती करें। ऐसा करने से संतान से जुड़ी मुश्किलें दूर होती हैं।

।।श्रीकृष्ण जी के 108 नाम।।
ॐ परात्पराय नमः।

ॐ सर्वग्रह रुपिणे नमः।

ॐ सर्वभूतात्मकाय नमः।

ॐ दयानिधये नमः।

ॐ वेदवेद्याय नमः।

ॐ तीर्थकृते नमः।

ॐ पुण्य श्लोकाय नमः।

ॐ पन्नगाशन वाहनाय नमः।

ॐ परब्रह्मणे नमः।

ॐ नारायणाय नमः।

ॐ दानवेन्द्र विनाशकाय नमः।

ॐ यज्ञभोक्त्रे नमः।

ॐ दामोदराय नमः।

ॐ गीतामृत महोदधये नमः।

ॐ अव्यक्ताय नमः।

ॐ पार्थसारथये नमः।

ॐ बर्हिबर्हावतंसकाय नमः।

ॐ युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे नमः।

ॐ बाणासुर करान्तकाय नमः।

ॐ वृषभासुर विध्वंसिने नमः।

ॐ वेणुनाद विशारदाय नमः।

ॐ जगन्नाथाय नमः।

ॐ जगद्गुरवे नमः।

ॐ भीष्ममुक्ति प्रदायकाय नमः।

ॐ विष्णवे नमः।

ॐ सुभद्रा पूर्वजाय नमः।

ॐ जयिने नमः।

ॐ सत्यभामारताय नमः।

ॐ सत्य सङ्कल्पाय नमः।

ॐ सत्यवाचे नमः।

ॐ विश्वरूपप्रदर्शकाय नमः।

ॐ विदुराक्रूर वरदाय नमः।

ॐ दुर्येधनकुलान्तकाय नमः।

ॐ शिशुपालशिरश्छेत्रे नमः।

ॐ कृष्णाव्यसन कर्शकाय नमः।

ॐ अनादि ब्रह्मचारिणे नमः।

ॐ नाराकान्तकाय नमः

ॐ मुरारये नमः।

ॐ कंसारये नमः।

ॐ संसारवैरिणे नमः।

ॐ परमपुरुषाय नमः।

ॐ मायिने नमः।

ॐ कुब्जा कृष्णाम्बरधराय नमः।

ॐ नरनारयणात्मकाय नमः।

ॐ स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे नमः।

ॐ तुलसीदाम भूषनाय नमः।

ॐ बृन्दावनान्त सञ्चारिणे नमः।

ॐ बलिने नमः।

ॐ द्वारकानायकाय नमः।

ॐ मथुरानाथाय नमः।

ॐ मधुघ्ने नमः।

ॐ कञ्जलोचनाय नमः।

ॐ कामजनकाय नमः।

ॐ निरञ्जनाय नमः।

ॐ अजाय नमः।

ॐ सर्वपालकाय नमः।

ॐ गोपालाय नमः।

ॐ गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे नमः।

ॐ पारिजातापहारकाय नमः

ॐ पीतवसने नमः।

ॐ वनमालिने नमः।

ॐ वनमालिने नमः।

ॐ यादवेंद्राय नमः।

ॐ यदूद्वहाय नमः।

ॐ यादवेंद्राय नमः।

ॐ परंज्योतिषे नमः।

ॐ इलापतये नमः।

ॐ कोटिसूर्यसमप्रभाय नमः।

ॐ योगिने नमः।

ॐ गोपगोपीश्वराय नमः।

ॐ तमालश्यामलाकृतिये नमः।

ॐ उत्तलोत्तालभेत्रे नमः।

ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः।

ॐ तृणीकृत तृणावर्ताय नमः।

ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः।

ॐ अनन्ताय नमः।

ॐ वत्सवाटिचराय नमः।

ॐ योगिनांपतये नमः।

ॐ गोविन्दाय नमः।

ॐ शुकवागमृताब्दीन्दवे नमः।

ॐ मधुराकृतये नमः।

ॐ त्रिभङ्गिने नमः।

ॐ षोडशस्त्रीसहस्रेशाय नमः।

ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः।

ॐ नवनीतनटनाय नमः।

ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः।

ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः।

ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः।

ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः।

ॐ पूतनाजीवितहराय नमः

ॐ बलभद्रप्रियनुजाय नमः।

ॐ यमुनावेगासंहारिणे नमः।

ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः।

ॐ श्रीशाय नमः।

ॐ देवकीनन्दनाय नमः।

ॐ सङ्खाम्बुजायुदायुजाय नमः।

ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नमः।

ॐ हरिये नमः।

ॐ यशोदावत्सलाय नमः।

ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः।

ॐ लीलामानुष विग्रहाय नमः।

ॐ पुण्याय नमः।

ॐ वसुदेवात्मजाय नमः।

ॐ सनातनाय नमः।

ॐ वासुदेवाय नमः।

ॐ कमलनाथाय नमः।

ॐ कृष्णाय नमः।

ॐ ॐ अनंताय नमः।

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