भाद्रपद अमावस्या कब है?

भाद्रपद अमावस्या जिसे कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं। यह पितरों को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान-पुण्य और पितरों का तर्पण करना चाहिए। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए व्रत भी रखती हैं। ऐसे में आइए इसकी डेट और महत्व के बारे में जानते हैं।

भाद्रपद अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, जिसे कुशग्रहणी अमावस्या या पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह अमावस्या पितरों को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य, पितरों का तर्पण और अन्य धार्मिक काम करना चाहिए। इस साल यह अमावस्या कब पड़ रही है, आइए यहां इसकी डेट, महत्व और नियम जानते हैं।

भाद्रपद अमावस्या का महत्व
भाद्रपद अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुश को इकट्ठा किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन एकत्रित किया गया कुश पूरे साल तक पवित्र माना जाता है। यह कुश पितरों के श्राद्ध, तर्पण और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा, इस दिन को पिठोरी अमावस्या भी कहते हैं।

पिठोरी अमावस्या पर माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। विवाहित महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए इस दिन व्रत रखती हैं और विभिन्न पूजा नियमों का पालन करती हैं।

भाद्रपद अमावस्या डेट और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त दिन शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 23 अगस्त को दिन में 11 बजकर 35 मिनट पर होगी। उदयातिथि को देखते हुए भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त दिन शनिवार को मनाई जाएगी।

भाद्रपद अमावस्या के नियम
सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।
क्षमता के अनुसार अनाज, वस्त्र, फल आदि का दान करें।
इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का विधान है, ऐसे में पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और दीपक जलाएं।
संतान की सलामती के लिए महिलाएं इस दिन व्रत रखें।
ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य करें।

पितृ पूजा मंत्र
ॐ पितृ देवतायै नमः।।
ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।।
“ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्:।।

हल षष्ठी व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप

Check Also

हल षष्ठी व्रत पर करें इन मंत्रों का जाप

हल षष्ठी जिसे बलराम जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस साल यह …