जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। 15 अगस्त को मनाया गया यह पर्व वृंदावन में 16 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है। यह पर्व धर्म की विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और पूजा करते हैं तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं जो इस प्रकार हैं।
भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी हर साल साधक पूर्ण भव्यता के साथ मनाते हैं। यह पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 15 अगस्त को मनाया गया है। वहीं, वृंदावन में यह पर्व 16 अगस्त यानी आज के दिन मनाया जा रहा है। ऐसे में आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को भी दिखाता है। भगवान कृष्ण ने जिस तरह से अपनी लीलाओं के माध्यम से अधर्म का नाश किया, वह हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर चलकर ही जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। यह पर्व प्रेम, भक्ति और त्याग का प्रतीक है।
पूजन के नियम
इस दिन सूर्योदय से लेकर रात 12 बजे तक लोग उपवास रखते हैं।
कई लोग फलाहार करते हैं, जबकि कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं।
पूजा स्थल पर भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें।
इसे सुंदर फूलों, झूले और रंगीन कपड़ों से सजाएं।
रात 12 बजे जब कान्हा का जन्म होता है, तब उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाकर झूले में बैठाएं।
अंत में आरती करें।
चढ़ाएं ये भोग
माखन-मिश्री – भगवान कृष्ण को माखन बहुत प्रिय है। इसलिए उन्हें माखन और मिश्री का भोग जरूर लगाएं।
धनिया पंजीरी – यह जन्माष्टमी का एक पारंपरिक भोग है, जिसे चढ़ाने से जीवन में शुभता का आगमन होता है। साथ ही कान्हा खुश होते हैं।
खीर – इस दिन खीर भी भगवान कृष्ण को अर्पित की जाती है।
पीले फल – इस दिन मौसमी फल जैसे – केले, सेब और अंगूर का भोग भी लगाया जाता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।