संतान सप्तमी व्रत को बेहद फलदायी माना गया है। इस उपवास को महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए रखती हैं। यह देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान से जुड़ी सभी मुश्किलें दूर होती हैं।
सनातन धर्म में संतान सप्तमी व्रत का खास महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की भलाई और सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, संतान सप्तमी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह व्रत कब रखा जाएगा? तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।
संतान सप्तमी डेट और पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। वहीं, इसका अंत 30 अगस्त को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 30 अगस्त को संतान सप्तमी का उपवास रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
संतान सप्तमी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठें और स्नान करें
शिव जी और माता पार्वती के सामने व्रत का संकल्प लें।
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
एक कलश में जल भरकर रखें और उस पर नारियल और आम के पत्ते रखें।
देसी घी का दीया जलाएं और फूल, चावल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं।
भगवान शिव और माता पार्वती को वस्त्र अर्पित करें।
भोग प्रसाद के रूप में पूरी और खीर चढ़ाएं।
व्रती संतान सप्तमी व्रत कथा का पाठ करें और फिर आरती से पूजा को पूर्ण करें।
पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे और बड़ों का आशीर्वाद लें
अगले दिन प्रसाद से व्रत का पारण करें।
पूजन मंत्र
ॐ पार्वतीपतये नम:।।
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्र-पौत्रादि समृद्धि देहि में परमेश्वरी।।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।।
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।