कार्तिक माह की षष्ठी तिथि पर बन रहे ये योग

12 अक्टूबर 2025 के अनुसार, आज कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव को रोजाना अर्घ्य देने से कारोबार में सफलता मिलती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

आज यानी 12 अक्टूबर से कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। इस तिथि पर रविवार पड़ रहा है। सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने से बिगड़े काम पूरे होते हैं और सूर्य देव की कृपा से सभी मुरादें पूरी होती हैं। आज कई शुभ-अशुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।

आज का पंचांग
तिथि: कृष्ण षष्ठी
मास पूर्णिमांत: कार्तिक
दिन: रविवार
संवत्: 2082

तिथि: कृष्ण षष्ठी दोपहर 02 बजकर 16 मिनट तक
योग: वारियाना प्रातः 10 बजकर 55 मिनट तक
करण: वणिज दोपहर 02 बजकर 16 मिनट तक
करण: 13 अक्टूबर को विष्टि प्रातः 01 बजकर 15 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 20 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 55 मिनट पर
चंद्रमा का उदय: रात 10 बजकर 14 मिनट पर
चंद्रास्त: प्रातः 12 बजकर 06 मिनट पर

सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: मिथुन
पक्ष: कृष्ण

आज के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त : प्रातः 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
अमृत काल : प्रातः 02 बजकर 56 मिनट से 04 बजकर 27 बजे तक

आज के अशुभ समय

राहुकाल : दोपहर 04 बजकर 28 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक
गुलिकाल : दोपहर 03 बजकर 01 बजे से 04 बजकर 28 मिनट तक
यमगण्ड : दोपहर 12 बजकर 07 बजे से 01 बजकर 34 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव मृगशिरा नक्षत्र में रहेंगे…
मृगशिरा नक्षत्र- दोपहर 01 बजकर 36 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: कला प्रिय, रचनात्मक, रोमांटिक, व्यावसायिक समझ, ऐश्वर्यप्रिय, जिद्दी, व्यवहारिक, भोग-विलासी, दिखावटी, बड़ी आंखें, ईमानदार, उदार, दानशील, संवाद-कुशल, एकाग्रचित्त, और शांत स्वभाव
नक्षत्र स्वामी: चंद्र देव
राशि स्वामी: शुक्र देव
देवता: ब्रह्मा या प्रजापति
प्रतीक: गाड़ी का पहिया

सूर्य देव के मंत्र

ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

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