भारत साधु-संतो की तपोभूमि है. समय-समय पर कई संतों ने हमारे देश में जन जागृति की है. ऐसे ही एक महान संत थे ‘साईं बाबा’. हर साल लाखों लोग साईं बाबा का व्रत रखते हैं. साईं बाबा का व्रत गुरुवार पर रखने के पीछे एक कहानी है.
कैसे शुरू हुई साईं व्रत की परंपरा?
किसी शहर में ‘कोकिलाबेन’ और उनके पति ‘महेशभाई’ रहते थे. महेशभाई झगड़ालू स्वभाव के थे और कोकिलाबेन काफी भावुक थी. महेश भाई के झगड़ालू स्वभाव के कारण उनके सारे पडोसी भी उनसे परेशान थे. लेकिन कोकिलाबेन, महेशभाई को हमेशा संभाल लेती थी. महेशभाई के झगड़ालू और चिड़चिड़े स्वभाव से उनका व्यवसाय-कामकाज धीरे-धीरे ठप्प हो गया जिसकी वजह से वह दिन भर घर पर रहने लगे. इससे वह और भी ज़्यादा चिड़चिड़े हो गए.
एक दोपहर जब कोकिलाबेन ‘अब क्या करें?’ इस चिंता में थी तब उनके दरवाजे पर एक वृद्ध महाराज आये. उनकी कान्ति चमकदार थी और उनकी आँखों में अनोखा तेज था. उन्होंने भिक्षा के रूप में दाल-चावल की मांग की. कोकिलाबेन ने दाल-चावल झोली में डाले और महाराज को आदरभाव से नमस्कार किया. महाराज आशीर्वाद देते हुए बोले, ‘साईं सुखी रखेगा’. यह सुनकर कोकिलाबेन ने तुरंत अपने जीवन का वर्णन करते हुए महाराज से कहा कि मेरी किस्मत में सुख नहीं लिखा है. इसपर उपाय बताते हुए उन वृद्ध महाराज ने कोकिलाबेन को साईं व्रत के बारे में बताया. वह बोले “9 गुरुवार सिर्फ़ एक समय भोजन या फलाहार करना, संभव हो तो साईं मंदिर जाना, हर गुरुवार को साईं बाबा की पूजा करना और व्रत का उद्यापन करने के लिए भूखे को भोजन खिलाना. साईं तेरे सारे दुःख दूर करेंगे, बस बाबा की असीम भक्ति करनी चाहिए.”
महाराज के कहने पर कोकिलाबेन ने 9 गुरुवार तक साईं बाबा का कड़ा व्रत रखा, पूरी निष्ठा से उनकी अर्चना की और उद्यापन के दिन गरीबों को भोजन करवाया. धीरे-धीरे महेशभाई के स्वभाव में भी बदलाव आया. उनका रोजगार फिर से चालू हो गया और घर में सुख-शांति आ गयी. कुछ दिनों बाद कोकिलाबेन की जेठानी उनके घर आयी. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे ठीक से पढ़ते नहीं है और परीक्षा में पास नहीं हो पाते. कोकिलाबेन ने साईं व्रत का महिमा बताई और अपनी जेठानी से व्रत करने के लिए कहा.
थोड़े ही दिनों में उनकी जेठानी की चिट्ठी आयी कि साईं व्रत करने से बच्चे मन लगाकर पढ़ रहे हैं. कई महीने प्रयास करके भी उनके सहेली की बेटी शादी नहीं हो रही थी. साईं व्रत करने से वह भी अच्छी जगह पर तय हो गई. किसी पडोसी का गुम हुआ गहनों का डिब्बा वापस मिल गया. ये सब पढ़कर कोकिलाबेन ने मन ही मन यह मान लिया कि साईं बाबा की महिमा अपार है.
कैसे किया जाता है साईं बाबा का व्रत?
साईं बाबा का व्रत कोई भी कर सकता है. साईं बाबा का कहना था ‘सबका मालिक एक है’ . इसीलिए सभी जात, पात और धर्म के लोग साईं बाबा का व्रत रखते हैं. हर गुरुवार की शुरुआत साईं बाबा के नाम से होती है. उस दिन सुबह या शाम में साईं बाबा के मूर्ति या तस्वीर की पूजा की जाती है. यह मूर्ति या तस्वीर किसी आसन पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर रखतें हैं, फिर बाबाजी की तस्वीर या मूर्ति पर तिलक लगाया जाता है और अगरबत्ती-दिया जलाकर हार चढ़ाया जाता है. इसके बाद साईं व्रतकी कथा पढ़कर मिठाई या फल प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.
इस तरह लोग गुरूवार को साईं बाबा की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत उनकी अनुकम्पा प्राप्त करते हैं.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।