रामायण, भगवान राम के जीवन की संपूर्ण गाथा है । इसमें उनके जीवन से जुड़ा हर एक प्रसंग दर्ज है । भगवान राम के परिवार के बारे में बात करे तो उनके तीन भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के अलावा उनके माता पिता और दो और माताओं का वर्णन आता है । राम जन्म, राम की दीक्षा, सीता से स्वयंवर, फिर वनवास, सीता हरण और फिर रावण वध के बाद अयोध्या वापसी । इसके बाद सीता का त्याग और लव कुश की कथा भी इसी रामायाण का हिस्सा है । इसी रामयण से हम अब तक परिचित थे । लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान राम की बहन के बारे में । शायद नहीं, आज जानिए श्रीराम की बड़ी बहन शांता के बारे में ।
प्रभु श्री राम की बहन शांता की कहानी
दक्षिण भारत में प्रचलित रामायण कथा के अनुसार भगवान श्री राम की एक बड़ी बहन भी थी जिनका नाम शांता था। इनके बारे में कई कहानियां मिलती हैं । जो इस प्रकार हैं । एक कथा के अनुसार रावण को जब ये पता चला कि उसकी मृत्यु कौशल्या और दशरथ के यहां जन्मे बालक के हाथों होगी तो वह कौशल्या को विवाह से पहले ही मारने की योजना बनाने लगा । रावण के इस कृत्य से कौशल्या को राजा दशरथ बचाया । इसके बाद दोनों का गंधर्व विवाह हुआ और पुत्री के रूप में शांता का जन्म हुआ ।
राजा दशरथ और कौशल्या का गौत्र एक ही था इसी कारण ऐसा हुआ समाधान निकाला गया कि कन्या के माता-पिता बदल दिये जायें यानि कोई इसे अपनी दत्तक पुत्री बना ले तो इसके स्वस्थ होने की संभावना है ऐसे में अंगदेश के राजा रोमपाद और वर्षिणी ने शांता को अपनी पुत्री स्वीकार कर लिया और वह स्वस्थ हो गई। युवा होने के बाद ऋंग ऋषि से शांता का विवाह करवाया गया।
ये भी है कथा
एक अन्य कथा के अनुसार राजा कौशल्या की एक बहन थी वर्षिणी जिनका विवाह राजा रोमपाद के साथ हुआ था लेकिन उनके यहां कोई संतान नहीं थी। वहीं राजा दशरथ और कौशल्या की एक पुत्री थी जिसका नाम था शांता वह बहुत ही गुणवान और हर कला में निपुण थी। कौशल्या की बहन ने एक बार बस ये कह दिया कि काश हमारी भी शांता जैसी संतान होती, बस दशरथ ने उन्हें शांता को गोद देने का वचन दे दिया । इसके बाद शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं। जिनकी बाद में शादी विभंडक ऋषि के पुत्र ऋंग ऋषि से हुई ।
ये कहानी है सबसे ज्यादा प्रचलित
एक अन्य लोककथा के अनुसार यह भी माना जाता है कि जब शांता का जन्म हुआ तो अयोध्या में 12 वर्षों तक भारी अकाल पड़ा। राजा को सलाह दी गई कि उनकी पुत्री शांता के कारण ही यह अकाल पड़ा हुआ है ऐसे में राजा दशरथ ने नि:संतान वर्षिणी को अपनी पुत्री शांता दान में दे दिया। कहीं फिर अयोध्या अकालग्रस्त न हो जाये इस डर से शांता को कभी अयोध्या वापस बुलाया भी नहीं गया।
शांता के कारण ही हुआ राम का जन्म
कहा जाता है कि शांता के जाने के बाद दशरथ के कोई संतान नहीं हुई । जिसके चलते उन्होने पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाया था । ये यज्ञ शांता के पति श्रृंग ऋषि ही थे । पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाने की एक शर्त थी, जो कोई भी पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करता उसके जीवन भर की तपस्या की आहुति इस यज्ञ में होने वाली थी । जिसके लिए कोई तैयार नहीं था । ऐसे में शांता ने अपने पति को राजी कराया और यज्ञ संपन्न हुआ । और राजा दशरथ को चार पुत्रों की प्रापित हुई ।