‘भगवान राम’ की कृपा पाने के लिए लोग ना जाने कितने उपाय करते हैं, हिन्दू धर्म में, राम, विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं, राम का चरित्र एक आदर्श व्यक्ति का है , राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहां तक की पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है।
‘भगवान राम’ के जन्म को लेकर अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग बातें लिखी हुईं हैं लेकिन हमारे देश भारत में चैत्र मास की नवमी को भगवान राम का जन्मदिन मनाया जाता है, जिसे कि हम ‘रामनवमी’ कहते हैं लेकिन अक्सर धार्मिक लोगों और शोधकर्ताओं के बीच में रामनवमी या भगवान राम को लेकर बहस छिड़ जाती है, हर किसी के अपने-अपने तर्क हैं।
शादी में देरी, प्रेम में अनबन, संतान प्राप्ति
अगर आप शादी में देरी, प्रेम में अनबन, संतान प्राप्ति में समस्या, व्यवसाय में घाटा आदि परेशानियों से घिरे हैं तो ऐसे में भगवान श्री राम जी की पूजा करना लाभदायक होता है।
भगवान राम की एक बहन भी थीं
दक्षिण की रामायण की मानें तो भगवान राम को मिलाकर चार भाई थे- राम, भरत, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न और एक बहन, जिनका नाम शान्ता था। शान्ता चारों भाईयों से बड़ी थीं। दक्षिण में लिखी गई रामायण में ऐसा लिखा गया है कि राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं, लेकिन पैदा होने के थोड़े ही दिन के बाद उन्हें अंगदेश के राजा रोमपद ने गोद ले लिया था।
सेंगर राजपूत
भगवान राम की बड़ी बहन का पालन पोषण राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्शिनी (महारानी कौशल्या की बहन) ने किया। आगे चलकर शान्ता का विवाह ऋष्याश्रिंगा से हुआ। ऐसा माना जाता है कि ऋष्याश्रिंगा और शान्ता का वंश ही आगे चलकर सेंगर राजपूत बना। आज भी सेंगर राजपूत ही हैं, जिन्हें ऋषिवंशी राजपूत कहा जाता है।
12 साल तक अयोध्या में रहीं
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, भगवान राम का जन्म चैत्र मास की नवमी को हुआ था और शादी के समय सीता मां की आयु केवल 6 साल थी। मां सीता भगवान राम के साथ 12 साल तक अयोध्या में रहीं थी उसके बाद 18 साल की थी तब भगवान राम के साथ वनवास चली गई थी।
भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया
जिस सीता स्वयंवर का रामचरित मानस में खूब बखान किया गया है, उसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है ही नहीं।ऐसा भी कहा जाता है कि माता सीता की रावण से रक्षा करने जाते समय रास्ते में आए समुद्र को पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया था।