हिंदी कैलेंडर के अनुसार अभी पौष का महीना चल रहा है और इस माह में सूर्य देव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। कुछ ही दिनों बाद सूर्य अपनी स्थिति में परिवर्तन करेगा। 14 जनवरी से सूर्य उत्तरायण हो जाएगा। शास्त्रों में पंचदेव बताए गए हैं, जिनकी पूजा हर काम की शुरुआत में की जाती है। ये पंचदेव हैं, श्रीगणेश, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्य देव। हिन्दू परम्परा में सूर्य देव को एक मात्रा साक्षात् दिखाई देने वाले देवता माना गया हैं।
ऐसे करें सूर्य की पूजा
रोज सुबह सूर्य को पहली बार देखते समय सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए यह मंत्र : ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम: है वही ब्राह्मपर्व के सौरधर्म में सदाचरण अध्याय के अनुसार जो लोग सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं, उन्हें सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए। सूर्य के लिए रविवार को गुड़ का दान करना चाहिए।
इन बातों का रखे विशेष ध्यान
जल चढ़ाते समय सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए। गिरते जल की धारा में सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ स्थिति में नहीं है, उन्हें सूर्य को रोज चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्य के दोष दूर हो सकते हैं। सूर्य देव की कृपा से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। अगर आप ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं या पढ़ाई में मन नहीं लगता है तो सूर्यदेव को गुरु मानकर उनकी पूजा रोज करें।