अगर बात करें हिन्दुओं की तो हिन्दू धर्म ग्रन्थों में कई बातें, कई पौराणिक कथाएं हैं जिन्हे सुनकर हैरानी होती है. ऐसे में पौराणिक कथाओं में ही बताया गया है कि भगवान शिव के अनेक अवतार रहे हैं और उनके सभी अवतार बहुत कम लोग जानते हैं. जी हाँ, ऐसे में बहुत कम लोग इस बात से भी वाकिफ है कि भगवान शिव के एक अवतार ने शनिदेव पर भी प्रहार किया था जिसके कारण शनिदेव की गति मंद हो गई.

जी हाँ, अगर बात करें पुराणों की तो पुराणों के अनुसार भगवान शंकर ने अपने परम भक्त दधीचि मुनि के यहां पुत्र रूप में जन्म लिया. भगवान ब्रह्रा ने इनका नाम पिप्पलाद रखा. जन्म लेने के बाद ही इनके पिता की मृत्यु हो गई. बड़े होने पर पिप्पलाद को अपने पिता की मृत्यु का कारण शनिदेव की कुदृष्टि के बारे में पता चला. तब उन्होंने क्रोधित होकर शनिदेव के ऊपर ब्रह्रादंड का प्रहार किया. शनि देव ब्रह्रा दंड का प्रहार नहीं सह सकते थे इसलिए वे उससे डर कर भागने लगे. तीनों लोको की परिक्रमा करने के बाद भी ब्रह्रा दंड ने शनिदेव का पीछा नहीं छोड़ा और उनके पैर पर आकर लग गया.
कहते हैं इससे शनि के दोनों पैर टूट गये. शनि देव दुखी होकर भगवान शिव को पुकारने लगे. भगवान शिव ने आकर पिप्पलाद का क्रोध शांत किया और शनि की रक्षा की, वहीं इस दिन से ही शनि पिप्पलाद से भय खाने लगे. कहते हैं पिप्लाद का जन्म पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ था और पीपल के पत्तों को खाकर इन्होंने तप किया था इसलिए ही पीपल की पूजा करने से शनि का अशुभ प्रभाव दूर होता है. वहीं भगवान शिव की प्रार्थना पर पिप्पलाद ने शनि को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक के शिवभक्तों को कष्ट नहीं देंगे अगर ऐसा हुआ तो शनि देव भस्म हो जाएंगे. यह सब पौराणिक कथाओं में लिखा हुआ है जो आप सभी पढ़ सकते हैं.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।