भगवान श्रीराम

download (22)असंख्य सद्गुणरूपी रत्नोंके महान निधि भगवान् श्रीराम धर्मपरायण भारतीयोंके परमाराध्य हैं| श्रीराम ही धर्मके रक्षक, चराचर विश्वकी सृष्टि करनेवाले, पालन करने वाले तथा संहार करने वाले परब्रह्मके पूर्णावतार हैं| रामायणमें यथार्थ ही कह गया है – ‘रक्षिता जीवलोकस्य धर्मस्य परिरक्षिता|’ भगवान् श्रीराम धर्मके क्षीण हो जानेपर साधुओंकी रक्षा, दुष्टोंका विनाश और भूतलपर शान्ति एवं धर्मकी स्थापना करनेके लिये अवतार लेते हैं| उन्होंने त्रेतायुगमें देवताओंकी प्रार्थना सुनकर पृथ्वीका भार हरण करनेके लिये अयोध्याधिपति महाराज दशरथके यहाँ चैत्र शुक्ल नवमीके दिन अवतार लिया और राक्षसोंका संहार करके त्रिलोकीमें अपनी अविचल कीर्ति स्थापित की| पृथ्वीका धारण-पोषण, समाजका संरक्षण और साधुओंका परित्राण करनेके कारण भगवान् श्रीराम मूर्तिमान् धर्म ही हैं|

भगवान् श्रीराम जीवमात्रके कल्याणके लिये अवतरित हुए थे| विविध रामायणों, अठराह महापुराणों, रघुवंशादि महाकाव्यों, हनुमदादि नाटकों, अनेक चप्पू-काव्यों तथा महाभारतादिमें इनके विस्तृत चरित्रका ललित वर्णन मिलता है| श्रीरामके विषयमें जितने ग्रन्थ लिखे गये, उतने किसी अन्य अवतारके चरित्रपर नहीं लिखे गये| गुरुगृहसे अल्पकालमें शिक्षा प्राप्त करके लौटनेके बाद इनका चरित्र विश्वामित्रकी यज्ञरक्षा, जनकपुरमें शिव-धनुष-भंग, सीता-विवाह, परशुरामका गर्वभंग आदिके रूपमें विख्यात है| यज्ञरक्षाके लिये जाते समय इन्होंने ताड़का-वध, महर्षि विश्वामित्रके download (23)आश्रमपर सुबाहु आदि दैत्योंका संहार तथा गौतमकी पत्नी अहल्याका उद्धार किया| कैकेयीके वरदान स्वरूप पिताकी आज्ञाका पालन करनेके लिये ये चौदह वर्षोंके लिये वनमें गये| चित्रकूटादि अनेक स्थानोंमें रहकर इन्होंने ऋषियोंको कृतार्थ किया| पञ्चवटीमें शूर्पणखाकी नाक-कान काटकर और खर-दूषण, त्रिशिरा आदिका वधकर इन्होंने रावणको युद्धके लिये चुनौती दी| रावणने मारीचकी सहायतासे सीताका अपहरण किया| सीताकी खोज करते हुए इन्होंने सुतीक्ष्ण, शरभंग, जटायु, शबरी आदिको सद्गति प्रदान की कथा ऋष्यमूक पर्वतपर पहुँचकर सुग्रीवसे मैत्री की और वालीका वध किया| फिर श्रीहनुमान् जीके द्वारा सीताका पता लगवाकर इन्होंने समुद्रपार सेतु बँधवाया और वानरी-सेनाकी सहायतासे रावण-कुम्भकर्णादिका वध किया तथा विभीषणको राज्य देकर सीताजीका उद्धार किया| भगवान् श्रीरामने लगभग ग्यारह हजार वर्षोंतक राज्य करके त्रेतामें सत्ययुगकी स्थापना की| अपने राज्यकालमें रामराज्यको चिरस्मरणीय बनाकर पुराणपुरुष श्रीराम सपरिकर अपने दिव्यधाम साकेत पधारे|

images (33)कर्तव्य ज्ञान की शिक्षा देना रामावतार की विशेषता है| इसका दुष्टान्त भगवान् श्रीरामने स्वयं अपने आचरणों के द्वारा कर्म करके दिखाया| वे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भ्राता, आदर्श पति, आदर्श मित्र, आदर्श स्वामी, आदर्श वीर, आदर्श देशसेवक और सर्वश्रेष्ठ महामानव होनेके साथ साक्षात् परमात्मा थे| भगवान् श्रीरामका चरित्र अनन्त है, उनकी कथा अनन्त है| उसका वर्णन करने की सामर्थ्य किसी में नहीं है| भक्तगण अपनी भावना के अनुसार उनका गुणगान करते हैं|

What will happen in Future...!! Lord Rama..!!
राम का जन्म और रावण वध का अद्भुत रहस्य

Check Also

जानें, कैसे पड़ा बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ?

हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल अमरनाथ धाम (Amarnath Yatra 2024) है। धार्मिक मान्यता है कि …