भारतीय संस्कृति के विकास में अध्यात्म की मूल अवधारणा अवस्थित है, लेकिन दिनों-दिन संस्कृति के लुप्त होने के आसार शुरू हो गए हैं। इसका एकमात्र कारण है अध्यात्म चेतना का अवरूद्ध होना। अध्यात्म स्वयं को समझने और जानने की प्रक्रिया है। जब तक व्यक्ति स्वयं को नहीं जान पाता है तब तक व्यक्ति आत्मरमण की प्रक्रिया से नहीं गुजर …
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मन की पूर्ण शुद्धि के लिए जरूरी हैं पुण्य कर्म
महाभारत और गीता में श्रीकृष्ण भगवान ने कहा था कि हे अर्जुन मन की मलिनता मनुष्य को पुण्य और दैवी संस्कारों से दूर ले जाती है। वह व्यक्ति कभी भी ना अपने बारे में और ना दूसरों के बारे में हितकारी हो सकता है। स्वच्छता या शुद्धि किसी भी चीज की असली पहचान होती है। मन, बुद्धि, कर्म ये तीनों …
Read More »घर में इन यंत्रों की स्थापना से दूर होता है दुर्भाग्य का साया
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि ग्रह-नक्षत्रों की चाल मनुष्य के सुख-दुख और कर्मों की गति को प्रभावित करती है। ग्रहों का दोष मनुष्य के बनते काम भी बिगाड़ सकता है। शास्त्रों में इसके लिए कई समाधान बताए गए हैं। जानिए कुछ विशेष यंत्रों के बारे में जो ग्रहों का दोष दूर कर जीवन में खुशहाली लाते हैं। कुबेर यंत्र …
Read More »रावण ने मारी थी लक्ष्मण को ब्रह्मशक्ति।
बीकानेर -महाजन. राम-रावण की सेनाओं के मध्य हुए युद्ध में मेघनाद ने राम व लक्ष्मण को अपने बाणों से मूर्छित कर दिया व उन्हें मृत समझकर अपने महल में लौट गया वहीं मेघनाद वध के बाद बौखलाये रावण ने लक्ष्मण को शक्तिबाण मारा। चौंकिए मत ये सब राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मण्डल की ओर से कक्षा 6 में लगाई गई हिन्दी …
Read More »अध्यात्म के इस रहस्य से खुद में करें भगवान के दर्शन
कहा जाता है कि जीवन का दूसरा नाम ही अध्यात्म है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में जैसे मुख्य सिद्धांत है- जनता के लिए, जनता के द्वारा, जनता का शासन ठीक उसी प्रकार अध्यात्म व्यवस्था के लिए स्वयं के द्वारा, स्वयं का अनुशासन होता है। व्यक्ति स्वयं पर अनुशासन कर लेता है तो उसे नि:संदेह आत्मानुभूति होती है। यह जागृत आत्मानुभूति ही …
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