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जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर बने भगवान पार्श्वनाथ, ऐसी है कथा

भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर हैं. जैन धरम में भगवान पार्श्वनाथ को काफी माना जाता है. उनकी मूर्ति के दर्शन मात्र से ही जीवन में शांति का अहसास होता है. पुराणों में कहा है पार्श्वनाथ वास्तव में ऐतिहासिक व्यक्ति थे. उनसे पूर्व श्रमण धर्म की धारा को आम जनता में पहचाना नहीं जाता था. पार्श्वनाथ से ही श्रमणों …

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श्रीकृष्ण की बांसुरी में छुपे हैं जीवन के कई राज

आप सभी ने श्रीकृष्ण की बांसुरी के साथ वाली प्रतिमा देखी है और ऐसी ही प्रतिमा अक्सर मिलती है. ऐसे में श्रीकृष्ण द्वारा धारण किए गए प्रतीकों में बांसुरी हमेशा से सभी लोगों के लिए मन में सवाल बनकर रही है और बहुत कम लोग जानते होंगे कि आखिर क्यों कृष्णा भगवान के हाथ में बांसुरी रहती है. आज हम …

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इस वजह से महाभारत में शामिल नहीं हुए थे श्री कृष्णा के बड़े दाऊ बलराम

आप सभी को बता दें कि आज बलराम जयंती है. ऐसे में महाभारत युद्ध के समय कई लोग युद्ध में शामिल नहीं हुए थे लेकिन उन सभी में बलराम नहीं थे. जी हाँ, बलराम बहुत शक्तिशाली थे और उन्होंने कई युद्ध लड़े थे लेकिन उनके महाभारत युद्ध में शामिल नहीं होने के कई कारण थे और आज हम आपको उन्ही …

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पर्युषण के दशलक्षण पर्व में खास होते हैं ये 10 अंग..

जैन धर्म में दशलक्षण पर्व का बहुत महत्व है. ये पर्व सोमवार से शुरू हो गया है. ये पर्व दिगंबर जैन समाज में दस दिनों तक चलता है वहीं श्वेताम्बर जैन में इसे 8 दिनों तक मनाया जाता है. में पयुर्षण पर्व/ दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा, दूसरे दिन उत्तम मार्दव, तीसरे दिन उत्तम आर्जव, चौथे दिन उत्तम …

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इस वजह से मनाई जाती है गोवत्स द्वादशी, जानिए पौराणिक कथा

हर साल भादवा महीने में कृष्ण पक्ष की बारस यानी द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी माना जाता है. ऐसे में इस दिन को बच्छ बारस के नाम से पुकारा जाता है और इस दिन महिलाएं श्रद्धापूर्वक गौ और उनके बछड़े का पूजन करती हैं. इसी के साथ इस दिन गाय का पूजन कर दूध का सेवन नहीं किया जाता है. …

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