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प्रभु श्रीराम ने शबरी के जूठे फल खाए, ऐसी कौन सी विशेषता थी शबरी के फलों में, पढ़ें रोचक आलेख

शबरी के फलों की मिठास का वर्णनभक्ति-साहित्य बार-बार में आता है। कुछ भक्तों ने तो यहां तक कह दिया कि प्रभु ने शबरी के जूठे फल खाए। यह भी भक्तों की एक भावना है। इसे मर्यादा और विवाद का विषय न बनाकर उसके पीछे जो भावनात्मक संकेत हैं, उस दृष्टि से विचार करना चाहिए पर यह बात बिल्कुल स्पष्ट रूप से सामने …

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शीतला सप्तमी-अष्टमी : कैसे की जाती है बसौड़ा की पूजा?

इस व्रत में मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और जल लेकर महिलाएं मंदिर जाती हैं। इस पूजा को बसौड़ा या फिर शीतला सप्तमी या अष्टमी कहा जाता है। इस पूजा में सबसे खास होते हैं बासी मीठे चावल, जिन्हें गुड़ या गन्ने के रस से बनाया जाता है। यही मीठे चावल माता को भी चढ़ाए जाते हैं और यही …

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आरोग्य का आशीष देती हैं शीतला माता, जानिए पौराणिक कथा और इतिहास

शीतला माता का पर्व कभी माघ मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को, कही वैशाख मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को तो कही चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी अथवा अष्टमी को मनाया जाता है। शीतला माता अपने साधकों के तन-मन को शीतल कर देती है तथा समस्त प्रकार के तापों का नाश करती है। शीतला माता का …

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मां शाकंभरी की पूजा से होगा हर दुःख दूर, पढ़ें पौराणिक कथा

मां शाकंभरी देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं। दुर्गा के सभी अवतारों में से मां रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शताक्षी तथा शाकंभरी प्रसिद्ध हैं। नवरात्रि में इनकी कथा का पाठ अवश्‍य करना चाहिए। मां शाकंभरी की पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय जब पृथ्‍वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल पैदा किया। इस तरह करीब …

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मां शाकंभरी मंदिर : बस एक पल में ही बेशकीमती खजाना बन गया नमक….

शाकम्भरी को दुर्गा का अवतार माना जाता है। शाकंभरी माता के देशभर में तीन शक्तिपीठ है। माना जाता है कि इनमें से सबसे प्राचीन शक्तिपीठ राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर सांभर कस्बे में स्थित है। यहां स्थित मंदिर करीब 2500 साल पुराना बताया जाता है। वैसे तो शाकंभरी माता चौहान वंश की कुलदेवी है लेकिन, माता को अन्य कई धर्म और समाज …

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