जैसा कि हमने पूर्व में ही उल्लेख किया है कि अमृत कलश के संरक्षण में सूर्य, चंद्र और देवगुरु बृहस्पति का विशेष योगदान रहा और इन तीनों ग्रहों के उन्हीं विशिष्ट योगों में आने से, जिन योगों में अमृत संरक्षित हुआ था, कुंभ पर्व का योग बनता है। अब हम इसे विस्तृत विवेचना के साथ उदाहरण सहित समझाते हैं – सूर्येन्दुगुरु …
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Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।