वरुथिनी एकादशी की पूजा में जरूर शामिल करें तुलसी पत्र

वरुथिनी एकादशी पर श्री हरि की पूजा होती है। इस दिन का भक्तों के बीच बहुत महत्व है। वरूथिनी एकादशी को वैशाख एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उपवास करते हैं। वरुथिनी का अर्थ है सुरक्षा। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस उपवास को रखते हैं उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।

 वरुथिनी एकादशी का व्रत बेहद पवित्र माना गया है। इस साल यह 4 मई को मनाया जाएगा। यह शुभ दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। वरुथिनी एकादशी महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान मनाई जाती है। साधक इस दिन नकारात्मक ऊर्जा और बुराइयों को दूर करने के लिए उपवास रखते हैं। यह एक ऐसा शुभ दिन हैं,जब व्यक्ति आध्यात्मिकता और सकारात्मकता प्राप्त कर सकता है।

वरुथिनी एकादशी पूजा का समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मई 2024 को रात्रि 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 4 मई, 2024 को रात्रि 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए यह व्रत 4 मई को रखा जाएगा। इसके साथ ही इसकी पूजा प्रातः 07 बजकर 18 मिनट से प्रातः 08 बजकर 58 मिनट के बीच होगी।

वरुथिनी एकादशी व्रत के पारण का समय

वरुथिनी एकादशी व्रत का पारण 5 मई, 2024 प्रातः 05 बजकर 37 मिनट से प्रातः 08 बजकर 17 मिनट तक के बीच किया जाएगा। बता दें, इस दिन द्वादशी तिथि शाम 05 बजकर 41 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

वरुथिनी एकादशी की पूजा में जरूर शामिल करें तुलसी पत्र

साधक स्नान करने के बाद ही व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधि अनुसार और पूरी भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पंचामृत का भोग भी लगाएं। इस दिन यदि भक्त भगवान विष्णु को तुलसी पत्र नहीं चढ़ाते हैं तो पूजा अधूरी मानी जाती है।

ऐसे में तुलसी पत्र अवश्य चढ़ाएं। पूजा के बाद श्री हरि की आरती और हरि मंत्रों का जाप करें। पूजा समाप्त होने के बाद परिवार के सदस्यों को प्रसाद बांटे।

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