आप सभी को बता दें कि इस साल 17 जून को योगिनी एकादशी पड़ रही है. ऐसे में आषाढ़ माह में पड़ने वाली इस योगिनी एकादशी को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण बताया जाता है. जी दरअसल एकादशी का हर व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. वहीं योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल की पूजा का भी विधान है. ऐसे में कहा जाता है योगिनी एकादशी करने से 88 हजार ब्राह्मणों के दान के बराबर फल मिलता है. आइए आज हम आपको बताते हैं इस व्रत की कथा.
कब है योगिनी एकादशी व्रत-
योगिनी एकादशी तिथि – 17 जून 2020
एकादशी तिथि प्रारम्भ – जून 16, 2020 को 05:40 ए एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – जून 17, 2020 को 07:50 ए एम बजे
योगिनी एकादशी व्रत की कथा – पद्मपुराण में वर्णित योगिनी एकादशी की एक कथा के अनुसार स्वर्ग की अलकापुरी नगरी के राजा कुबेर भगवान शिव के भक्त थे. वह हर रोज पूरे मन से भगवान शिव की पूजा करते थे. उनके लिए पूजा के फूल हेम नाम का एक माली लेकर आया करता था. एक दिन हेम काम भाव में पड़ने के कारण अपनी सुंदर पत्नी विशालाक्षी के साथ आनंद की प्राप्ति में रम गया. इस वजह से वह राजा को समय पर फूल नहीं पहुंचा सका. इससे क्रोधित राजा कुबेर अपने सैनिकों को हेम माली के यहां भेजते हैं. सैनिक हेम के घर से लौटकर राजा को पूरी बात बताते हैं. इससे राजा कुबेर बेहद क्रोधित हो गये और हेम को श्राप दिया वह कुष्ट रोग से पीड़ित होकर धरती पर चला जाएगा. कई सालों तक धरती पर विचरण के बाद एक दिन हेम की मुलाकात ऋषि मार्कण्डेय से हुई. ऋषि ने हेम से उसके दुख का कारण पूछा तो उसने पूरी बात बता दी. यह सुनकर मार्कण्डेय ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी. हेम ने ऐसा ही किया और पूरी निष्ठा से उसने योगिनी एकादशी का व्रत किया. बाद में इस व्रत के कारण हेम अपनी पुराने रूप में आ गया और पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर अपनी पत्नी के साथ सुख पूर्वक जीवन जीने लगा.
 Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
