सुख और संपदा की मनोकामना के लिए श्री द्विज गणपति की सच्चे मन से पूजा की जाती है: धर्म

भगवान गणेश का स्वरूप बाल गणपति के रूप में है। भगवान के इस स्वरूप में उनकी छ: भुजाओं में अलग-अलग फल है और उनका शरीर लाल रंग का है। गणेश चतुर्थी पर बाल गणपति के इस इस रूप की पूजा होती है।
2. श्री तरुण गणपति – भगवान गणेश का यह स्वरूप उनके किशोर रूप को दर्शाता है। इनके इस रूप में आठ भुजाओं वाला रक्तवर्ण शरीर है। इनका यह स्वरूप युवावस्था में शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।

3. श्री भक्त गणपति – गणपति के इस स्वरूप में गणेशजी की चार भुजाएं हैं। इनके इस रूप में इनका शरीर सफेद रंग का है।
4. श्री वीर गणपति- भगवान गणेश के इस स्वरूप में वह एक योद्धा की तरह हैं। इस स्वरूप में इनके कई हाथ हैं जिसमें वह तरह-तरह के अस्त्रों से शुभोभित हैं। भगवान गणेश के इस स्वरूप में उन्हें साहस और वीरता का प्रतीक माना जाता है।

5. श्री शक्ति गणपति – गणेश जी इस स्वरूप में चार भुजाओं  के साथ उनका सिंदूरी रंग का शरीर है। इनका यह स्वरूप अभय मुद्रा में है।
6. श्री द्विज गणपति – इनके इस स्वरूप में चार भुजा है। यह दो गुणों का प्रतीक हैं पहला ज्ञान और दूसरा संपत्ति। सुख और संपदा की मनोकामना के लिए इनके इस रूप की पूजा की जाती है।

7. श्री सिद्धि गणपति – इनकी यह मुद्रा बुद्धि और सफलता का प्रतीक है। इसमे यह आराम की मुद्रा में हैं। गणेशजी के इस स्वरूप में इनका रंग पीला यानी पीतवर्ण का है। मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर में इनका स्वरूप सिद्धि गणपति के स्वरूप में विराजमान है।
8. श्री विघ्न गणपति – भगवान गणेश के इस स्वरूप में वह दस भुजाधारी सुनहरी शरीर काया के रूप में हैं। इनका विघ्न स्वरूप तमाम तरह की बाधाओं को दूर करना वाला है। इनके हाथ में शंख और चक्र शुशोभित है।

 

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इंडोनेशिया में भगवान गणेश को मुस्लिम देश में शिक्षा, कला और विज्ञान का देवता माना जाता है यहाँ 20 हजार की नोट पर भगवान गणेश की तस्वीर अंकित है

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