कुंडली में इस दोष के कारण श्री कृष्ण धारण करते थे मोर पंख!

भगवान श्री कृष्ण का शृंगार बहुत ही अनूठा है। श्री कृष्ण द्वारा धारण की गए प्रत्येक शृंगार का अपना एक खास महत्व माना गया है। आपने भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर में उन्हें अपने सिर पर मोर पंख धारण करते हुए देखा होगा। इसके पीछे भी एक नहीं बल्कि कई खास वजह मानी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं इसका कारण।

कुंडली में था यह दोष

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में कालसर्प दोष था। मोर और सांप एक दूसरे के दुश्मन माने जाते हैं। ऐसे में यह माना जाता है कि मोर पंख धारण करने से कालसर्प दोष दूर हो सकता है। इसी कारण से भगवान श्री कृष्ण अपने सिर पर मोर पंख धारण किया करते थे।

यह भी है कारण

राधा रानी को भगवान कृष्ण की प्रेमिका के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार जब कृष्ण जी बांसुरी बजा रहे थे, तब राधा रानी उसपर नृत्य कर रहीं थी। तभी उनके साथ बासुरी की धुन पर मोर भी नाचने लगे। नाचते समय एक मोर का पंख नीचे गिर गया, जिसे श्री कृष्ण ने उठाकर अपने माथे पर सजा लिया। श्री कृष्ण ने इस मोरपंख को राधा के प्रेम का प्रतीक माना। मान्यता है कि तभी से वह अपने सिर पर मोरपंख सजाते आ रहे हैं।

मिलता है ये संदेश

भगवान श्री कृष्ण द्वारा मोर पंख धारण करने के पीछे एक खास संदेश भी छिपा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री कृष्ण के बड़े भाई यानी बलराम जी शेषनाग के अवतार थे। वहीं, मोर और नाग एक दूसरे के दुश्मन होते हैं, लेकिन कृष्ण जी के माथे पर लगा मोरपंख यह संदेश देता है कि वह शत्रु को भी विशेष स्थान दिया जाना चाहिए।

मोर पंख से मिलने वाला एक संदेश यह भी है कि मोर पंख में कई रंग पाए जाते हैं, जो इस बात का संदेश देते हैं कि जीवन में भी मोरपंख की भांति ही सुख और दुख के रंग होते हैं। क्योंकि जीवन में हर रंग अर्थात हर अवस्था का होना जरूरी है।

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