ईसाइयों के लिए बेहद खास है ईस्टर संडे

गुड फ्राइडे के बाद आने वाले संडे को ईस्टर संडे के नाम से जाना जाता है। इस साल 29 मार्च को गुड फ्राइडे मनाया गया था और ईस्टर 31 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन का ईसाई धर्म में विशेष महत्व माना गया है। यह दिन मुख्य रूप से ईसा मसीह से संबंधित है। ऐसे में आइए जानते हैं कि ईस्टर को यह नाम कैसे मिलगा।

 क्रिसमस डे की तरह ही गुड फ्राइडे और ईस्टर भी ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। जहां गुड फ्राइडे को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है, वहीं ईस्टर संडे एक खुशी का दिन है। इसलिए इस दिन को हैप्पी ईस्टर भी कहा जाता है। ईस्टर को ईसाई धर्म के लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं।

क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे

ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार, रोम में प्रेम का संदेश देने वाले ईसा मसीह को लोग काफी पसंद करते थे, लेकिन वहां के धर्म गुरुओं को यह बात पसंद नहीं आई और उन्हें अपनी लोकप्रियता कम होने का डर सताने लगा। तब रोम के शासकों ने प्रभु यीशु पर राजद्रोह का आरोप लगाया और उन्हें मृत्युदंड की सजा दी।

इस दौरान ईसा मसीह को कई तरह की यातनाएं देते हुए सूली में लटका दिया गया। जिस दिन प्रभु यीशु ने अपने प्राण त्यागे, उस दिन शुक्रवार था और इसके बाद रविवार के दिन ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए थे। इसलिए ईस्टर से पहले आने वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है।

इसलिए पढ़ा ईस्टर नाम

ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार “ईस्टर” शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है। इस शब्द का अर्थ होता है पुनरुत्थान। क्योंकि गुड फ्राइडे के बाद आने वाले संडे के दिन ही प्रभु यीशु का दुबारा जीवित हुए थे। इसलिए इस दिन को ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाने लगा। वहीं अन्य मान्यताओं के अनुसार,  ईस्टर शब्द की उत्पत्ति जर्मन के ईओस्टर शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है देवी। यह देवी वसंत की देवी मानी जाती हैं।

कैसे मनाते हैं ईस्टर

ईस्टर के मौके पर लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं और प्रभु यीशु को याद करके उनका आभार व्यक्त करते हैं। लोग एक-दूसरे को ईस्टर की बधाई देते हैं। साथ ही इस अंडों का भी विशेष महत्व माना गया है। ईस्टर के खास मौके पर लोग अंडों को अलग अलग तरह सजाते हैं और एक दूसरे को तोहफे में अंडे देते हैं।

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