चैत्र नवरात्र के नौवें दिन रवि योग समेत बन रहे हैं ये 4 शुभ संयोग

मार्कंडेय पुराण में मां सिद्धिदात्री की महिमा का गुणगान विस्तारपूर्वक किया गया है। मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों से पूर्ण हैं। अतः मां सिद्धिदात्री की पूजा भक्ति करने वाले साधक पर विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं।

चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा एवं साधना की जाती है। साथ ही इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। इसमें छोटी बालिकाओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराया जाता है। मार्कंडेय पुराण में मां सिद्धिदात्री की महिमा का गुणगान विस्तारपूर्वक किया गया है। मां सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों से पूर्ण हैं। अतः मां सिद्धिदात्री की पूजा भक्ति करने वाले साधक पर विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन रवि योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। आइए, इन योग के बारे में जानते हैं-  

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन राम नवमी भी मनाई जाएगी।

रवि योग

ज्योतिषियों की मानें तो राम नवमी तिथि पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दिन भर है। रवि योग में मां की पूजा-उपासना करने से साधक को अक्षय यानी कभी न क्षय (नष्ट) होने वाले फल की प्राप्ति होती है। इस योग में शुभ कार्य भी कर सकते हैं। इस दिन भगवान शिव, जगत जननी मां पार्वती के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके अलावा, कौलव और तैतिल करण का भी संयोग बन रहा है।  

पंचांग

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 09 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 47 मिनट से 07 बजकर 09 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल – दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 01 बजकर 58 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 10 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 21 मिनट तक

दिशा शूल – उत्तर

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