चैत्र नवरात्रि 6 से आरंभ, 9 दिनों में बनेंगे 9 शुभ संयोग

6 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्र में पांच सर्वार्थ सिद्धि, दो रवि योग और रवि पुष्य योग का संयोग बन रहा है। श्रीमद् देवी भागवत व देवी ग्रंथों के अनुसार इस तरह के संयोग कम ही बनते हैं। इसलिए यह नवरात्र देवी साधकों के लिए खास रहेगी।
नवरात्र का समापन 14 अप्रैल को होगा। कोई भी तिथि क्षय न होने के कारण नवरात्रि पुरे नो दिन मनाई जाएगी शनिवार के साथ धाता योग से नवरात्रि का प्रारंभ होना अत्यंत शुभ रहेगा प्रतिपदा तिथि दोपहर 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
इन शुभ योगों के चलते नवदुर्गा की अराधना करना विशेष पुण्यदायक रहेगा। एक वर्ष में 4 बार नवरात्रि आते हैं, दो गुप्त नवरात्रि और दो मुख्य नवरात्रि। चैत्र में आने वाले नवरात्रि को बड़ी या मुख्य नवरात्रि कहा जाता है और अश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को छोटी नवरात्रि।
इस बार इन नौ दिनों में बहुत सारे शुभ संयोग बनेंगे। हिन्दू पंचांग की मान्यता के अनुसार चैत्र मास के नवरात्रि का पहला दिन नव वर्ष के रुप में मनाया जाता है।
महाष्टमी, श्री रामनवमी स्मार्त मतानुसार 13 अप्रैल को रहेगी। इस दिन सुबह 11.41 बजे तक अष्टमी है और इसके बाद नवमी शुरू हो जाएगी। इस मत में मध्याह्न व्यापिनी नवमी को श्रीराम नवमी मानते हैं। 14 अप्रैल को सुबह 9.35 बजे तक नवमी होने से इस मत के लोग 14 अप्रैल को नवमी मनाएंगे।
कलश स्थापना मुहूर्त प्रातः 06:09 से 10:19 बजे तक।
नौ दिनों में बनेंगे 9 शुभ संयोग
6 अप्रैल- नवरात्रि के पहले दिन धाता, वैधृति योग और रेवती नक्षत्र में होगी घट स्थापना।
7 अप्रैल-नवरात्रि के दूसरे दिन बनेगा सर्वार्थ सिद्धि शुभ योग।
8 अप्रैल- नवरात्रि के तीसरे दिन बनेगा रवि योग। (कार्य सिद्धि)
9 अप्रैल-नवरात्रि के चौथे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा (भूमि, भवन खरीदी) ।
10 अप्रैल-नवरात्रि के पांचवें दिन लक्ष्मी पंचमी योग बनेगा (लक्ष्मी पंचमी)।
11 अप्रैल-नवरात्रि के छठे दिन रवियोग रहेगा (संतान सुरक्षा)।
12 अप्रैल- नवरात्रि के सातवें दिन सर्वार्थसिद्धि योग है (नए संबंध चर्चा)।
13 अप्रैल- अष्टमी पर कुलदेवी पूजन (स्मार्त मतानुसार नवमी)
14 अप्रैल- नवमी के साथ रवि पुष्य व सर्वार्थ सिद्धि (वैष्णव मतानुसार सुबह 9.37 तक नवमी)
चैत्र नवरात्र कब, किस दिन होगी किस देवी की पूजा, कलश स्थापना का सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त
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