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जब श्रीकृष्ण को खतरे का आभास हुआ तो उन्होंने किए दो बड़े कार्य, जानिए रहस्य…

वैसे तो महाभारत में ऐसे कई मौके आए जबकि श्रीकृष्ण की जान जा सकती थी, लेकिन उन्होंने बहुत ही चतुराई और शक्ति से खुद को बचाए रखा। एक बार वे कालयवन के चंगुल से बच निकले थे। दूसरी बार जब द्रौपदी का स्वयंवर होने वाला था, तो श्रीकृष्ण अकेले ही थे और वह भी निहत्थे अपने कट्टर दुश्मन जरासंध के पास उन्हें समझाने पहुंच …

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हनुमान के जन्म की कथा

यह कथा सुनकर श्रीराम हाथ जोड़कर अगस्त्य मुनि से बोले, “मुनिराज! इसमें सन्देह नहीं कि बालि और रावण दोनों ही भारी बलवान थे, परन्तु मेरा विचार है कि हनुमान उन दोनों से अधिक बलवान हैं। इनमें शूरवीरता, बल, धैर्य, नीति, सद्‍गुण सभी उनसे अधिक हैं। यदि मुझे ये न मिलते तो भला क्या जानकी का पता लग सकता था? मेरे …

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राम लक्ष्मण बन्धन में एवं अन्य राक्षसों का वध

जब दोनों सेनाओं के भयंकर युद्ध को देखकर भगवान सूर्य अस्ताचल की ओर चल दिये और चारों ओर अन्धकार छा गया तो इस अन्धकार का लाभ उठाकर राक्षस दूने उत्साह से वानरों पर पिल पड़े। उनके आकार को देखकर वानर भी राक्षस को पहचानकर ‘यह राक्षस है’ ‘यह राक्षस है’ कहते उन पर प्रतिघात करने लगे। दोनों ओर से ही …

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परशुरामजी का उल्लेख बहुत से ग्रंथों में किया गया

परशुराम रामायण काल के मुनी थे। भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि-यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को विश्ववंद्य महाबाहु परशुरामजी का जन्म हुआ। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा संपन्न नामकरण-संस्कार के अनन्तर राम, किंतु जमदग्निका पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु …

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जब महादेव ने श्रीराम की परीक्षा ली

श्रीराम का वनवास ख़त्म हो चुका था. एक बार श्रीराम ब्राम्हणों को भोजन करा रहे थे तभी भगवान शिव ब्राम्हण वेश में वहाँ आये. श्रीराम ने लक्ष्मण और हनुमान सहित उनका स्वागत किया और उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया. भगवान शिव भोजन करने बैठे किन्तु उनकी क्षुधा को कौन बुझा सकता था? बात हीं बात में श्रीराम का सारा …

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