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पुण्य के लिए करें माता-पिता की पूजा

गायत्री परिवार व गौरेश्वर विकास समिति के तत्वावधान में जारी शिवकथा में कथाकार गिरी बापू ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि माता-पिता का सम्मान व पूजन करने से ही पुण्य मिलता है। दक्ष ने पिता ब्रह्मा की खूब सेवा की। सती ने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए पिता दक्ष प्रजापति से हिमालय में …

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द्रोपदी ही नहीं पांडवों की ये भी थीं पत्नियां

युधिष्ठिर, महाभारत के मुख्य पात्रों मे से एक हैं। उनका एक नाम धर्मराज भी है। वह यमराज के अंश अवतार माने जाते हैं। यदुकुल और चंद्रवंश में जन्में युधिष्ठिर के पिता पांडु थे और माता कुंती। कुंती ने जब यम का आह्ववान किया तब युधिष्ठिर जन्में थे। युधिष्ठर के थे 2 पुत्र : युधिष्ठिर के पांच भाई, अर्जुन, भीम, नकुल, …

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लक्ष्मण जी ने किया था ‘अतिकाय’ का अंत

वाल्मीकि रामायण के लंकाकाण्ड में अतिकाय वध का उल्लेख है। दरअसल अतिकाय रावण का ही पुत्र था जो उसकी दूसरी पत्नी धन्यमालिनी का बेटा था। जब श्रीराम वानर सेना के साथ लंका युद्ध करने पहुंचे, तब उसने सर्वप्रथम अपने अन्य चार पुत्रों त्रिशिरा, देवान्तक, नरान्तक और अतिकाय को भेजा था। लंका के दैत्य सेनापतियों और वानर सेना के बीच भीषण …

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भक्त प्रह्लाद की नगरी के नजदीक है यह शिवधाम

उत्तरप्रदेश का एक प्रमुख शहर है ‘हरदोई’। भक्त प्रह्लाद की नगरी के रूप में मशहूर जिला हरदोई से करीब 30 किलोमीटर दूर है ‘सकहा शंकर मंदिर’। यह मंदिर सकहा नाम के क्षेत्र में है। किंवदंतियों के अनुसार, प्राचीन काल में यहां राजा हिरण्यकशिपु का शासन था। सकहा का प्राचीन नाम सोनिकपुर था तथा यहां पर शंकासुर नामक दैत्य रहता था। …

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यहां हिंदू राजा के दरबार में मुस्लिम तैयार करते थे रामराज्य के सिक्के

जयपुर। ढूंढाड़ राज्य में चांदी के झाड़शाही सिक्के और सोने की मोहरों की ढलाई का कारखाना सिरह ड्योढ़ी बाजार में राम प्रकाश सिनेमा के सामने था। चांदी की टकसाल के नाम से मशहूर कारखाना सवाई जयसिंह द्वितीय के समय बना था। महाराजा ईश्वरी सिंह के समय तक आमेर की टकसाल में सिक्कों की ढलाई होती रही।    मोहरें, चांदी व …

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