नारद मुनि पृथ्वी लोक के लोगों के कष्टों की जानकारी भगवान विष्णु तक पहुंचाने का काम करते हैं, इसलिए उन्हें दुनिया का प्रथम पत्रकार के रूप में भी जाना जाता है। ज्येष्ठ माह में नारद जयंती मनाई जाती है। आप इस दिन पर भगवान विष्णु की आराधना द्वारा भी नारद जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। चलिए जानते हैं भगवान विष्णु की पूजा विधि।
नारद जयंती मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 12 मई से रात 10 बजकर 25 मिनट पर शुरू हो चुकी है। वहीं इस तिथि का समापन 14 मई को रात 12 बजकर 35 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में नारद जयंती का पर्व आज यानी मंगलवार 13 मई को मनाया जा रहा है।
इस तरह करें पूजा
नारद जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें और इसके बाद नारद मुनि की पूजा-अर्चना करें। विष्णु जी को चंदन तुलसी, कुमकुम, फूल मिठाई चढ़ाएं। भोग के रूप में पंचामृत, फल या फिर हवला आदि अर्पित करें और उसमें तुलसी दल भी जरूर डालें। अंत में नारद मुनि और भगवान विष्णु की आरती करें।
भगवान विष्णु की आरती।
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी!
जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ओम जय जगदीश हरे।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।