पश्चिम बंगाल का तीर्थ स्थल है गंगा सागर, गंगा सागर में मकर संक्रांति के दिन विशाल मेला लगता है। जहां संगम में दुनिया भर से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। यह वही स्थान है जहां पवित्र गंगा नदी का सागर से संगम होता है।
गंगा सागर तीर्थ स्थल, बंगाल की खाड़ी के कॉण्टीनेण्टल शैल्फ में कोलकाता से 150 किमी दक्षिण दिशा में एक द्वीप है। पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि एक बार राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ करवाया। यज्ञ के नियमानुसार उन्होंने यज्ञ का घोड़ा छोड़ा और उसकी रक्षा का भार 60 हजार पुत्रों को दिया।
छल से देवराज इंद्र ने वह घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। घोड़े के खोजते हुए जब वो हजारों राजकुमार कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचे तो उन्होंने मुनि के लिए अपमानजनक शब्द कहे। मुनि को क्रोध आ गया और उन्होंने उन राजकुमारों को जलाकर भस्म कर दिया। तब सगर के एक पुत्र अंशुमान जो बच गए थे, उन्होंने मुनि से अपने भाइयों के उद्धार के बारे पूछा।
तब कपिल मुनि बोले, ‘जब स्वर्ग से गंगा का अवतरण धरती पर होगा तभी इन सभी को मुक्ति मिलेगी। अंशुमान ने यह बात सुन तप किया लेकिन वो मर गए लेकिन उनकी यह मनोकामना पूरी नहीं हुई। इसके बाद उन्हीं के वंश में जन्मे भागीरथ ने तप किया, मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ। इस तरह सगर के सभी पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।’
तभी से मोक्ष प्राप्ति के लिए मकर संक्रांति को लोग यहां आकर गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं, पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही सगर पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन यहां भव्य मेला