भगवान राम और रावण में 6 चौंकाने वाली समानताएं, देखिए

भगवान राम के साथ उनके घोर शत्रु रावण का भी नाम लिया जाता है क्योंकि अगर रावण नहीं होता तो भगवान राम की ऐसी कीर्ति नहीं होती। रावण के पापों का अंत करने के कारण ही राम भगवान राम बन गए। और सबसे कमाल की बात तो यह है कि, भगवान राम और रावण में ऐसी कई बातें हैं जो आपस में मिलती हैं जिसकी वजह से राम के साथ रावण का भी नाम लिया जाता है।

सबसे पहले तो भगवान राम और रावण के नाम में ही एक बड़ी समानता है। भगवान राम के नाम का पहला अक्षर ‘रा‘ है और रावण के भी नाम का भी पहला अक्षर ‘रा‘ है। ‘रा‘ अक्षर का संबंध चित्रा नक्षर से माना जाता है। इस नामाक्षर के गुण दोनों में ही नजर आते हैं। इस नामाक्षर के व्यक्ति हमेशा सजग और सक्रिय रहते हैं और काम को कल पर नहीं टालते हैं। यह भावुक होते हैं और रिश्तों को अहमियत देते हैं। यह लाभ हानि का भी पूरा ख्याल रखते हैं और उस समय भावुकता को त्यागकर व्यवहारिकता से काम लेते हैं।

रावण ने रिश्तों की अहमियत को ध्यान में रखते हुए शूर्पणखा का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया तो दूसरी ओर विभिषण का त्याग भी किया। यही बात राम में भी है सीता के लिए वह रावण की लंका तबाह कर देते हैं और अपनी मर्यादा के लिए पहले सीता का त्याग, फिर शत्रुघ्न को सुंदर नामक राक्षस की नगरी का राजा बनाकर अपने से दूर कर देते हैं। इसके बाद अपनी बात रखने के लिए लक्ष्मण तक को मृत्युदंड दे देते हैं। यानी रावण और राम दोनों ने ही अपने जीवन काल में भाईयों का त्याग किया था।

भगवान राम और रावण में एक और बड़ी रोचक समानता है कि, दोनों की माताओं के नाम ‘क‘ अक्षर से है राम की माता का नाम कौशल्या है जबकि रावण की माता का नाम कैकशी है। यहां एक और कमाल की बात है कि राम की एक अन्य माता का नाम ‘कैकेयी’ है जिन्होंने राम को वनवास भेजा तभी कैकशी के पुत्र रावण का वध संभव हुआ और राम बन गए भगवान।

भगवान राम और रावण की जन्मकुंडली में भी कई समानताएं। दोनों की ही कुंडली में पंच महापुरुष योग बना हुआ है जिसे ज्योतिषशास्त्र में बहुत ही शुभ योग माना गया है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन काल में खूब धन वैभव प्राप्त करते हैं और मृत्यु के बाद भी इनका नाम अमर रह जाता है।

भगवान राम और रावण की कुंडली में एक और बड़ी समानता है कि, दोनों की कुंडली में मंगल मकर राशि में, शनि तुला राशि में और गुरु लग्न यानी कुंडली के पहले घर में बैठे हुए हैं।

दोनों के जीवन में एक और बड़ी समानता है। भगवान राम भोलेनाथ के परम भक्त थे। इसका प्रमाण है रामेश्वरम मंदिर। दूसरी ओर रावण की शिव भक्ति का प्रमाण देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम है। रावण की भक्ति से भगवान शिव स्वयं ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे और रावण के साथ लंका जाने के लिए राजी हो गए। लेकिन देवताओं की चाल में फंसकर रावण शिव जी को लंका नहीं ले जा सका और ज्योतिर्लिंग देवघर में ही स्थापित हो गया।

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